भारत की तरफ से लड़ी जा रही कानूनी लड़ाई और कूटनीतिक प्रयास आखिरकार रंग लाए। कतर की अपीलीय अदालत ने नौसेना के आठ पूर्व अधिकारियों की मृत्युदंड की सजा को कम कर कैद में बदल दिया है। हालांकि, इस बाबत विस्तृत फैसले का इंतजार है। ये अधिकारी एक साल से भी अधिक समय से कतर की जेल में बंद हैं।
सरकार मामले की शुरुआत से ही नौसैनिकों के साथ खड़ी है: विदेश मंत्रालय
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि हदरा ग्लोबल मामले में कतर की अपीलीय अदालत के फैसले पर हमने गौर किया है, जिसमें सजाएं कम की गई हैं। भारत विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है। इसके साथ ही सरकार अगला कदम उठाने के लिए कानूनी टीम और अधिकारियों के परिजनों के साथ संपर्क में है।
विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को कहा कि हदरा ग्लोबल मामले में कतर की अपीलीय अदालत के फैसले पर हमने गौर किया है, जिसमें सजाएं कम की गई हैं। भारत विस्तृत फैसले की प्रतीक्षा कर रहा है। इसके साथ ही सरकार अगला कदम उठाने के लिए कानूनी टीम और अधिकारियों के परिजनों के साथ संपर्क में है।
मंत्रालय ने कहा कि कतर में भारत के राजदूत और अन्य अधिकारी परिवार के सदस्यों के साथ गुरुवार को अपीलीय अदालत में उपस्थित थे। सरकार मामले की शुरुआत से ही नौसैनिकों के साथ खड़ी है। हम सभी कांसुलर और कानूनी सहायता देना जारी रखेंगे। इस मामले को कतर के अधिकारियों के समक्ष भी उठाना जारी रखेंगे।
पीएम मोदी ने कतर के अमीर शेख से की थी मुलाकात
मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। पिछले दिनों कॉप- 28 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सिलसिले में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की थी। समझा जाता है कि तब बातचीत में इस मुद्दे का जिक्र हुआ होगा।
मंत्रालय ने कहा कि इस मामले की कार्यवाही की गोपनीय और संवेदनशील प्रकृति के कारण इस समय कोई और टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। पिछले दिनों कॉप- 28 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस सिलसिले में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी से मुलाकात की थी। समझा जाता है कि तब बातचीत में इस मुद्दे का जिक्र हुआ होगा।
विदेश मंत्रालय ने किया था हस्तक्षेप
विदेश मंत्रालय ने इस मामले में हस्तक्षेप कर भारतीय अधिकारियों को पूर्व में कांसुलर और कानूनी सहायता मुहैया कराई थी, लेकिन कतर सरकार की तरफ से लंबे समय तक इस बात को छुपाया गया। भारतीय अधिकारियों को किन आरोपों में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, अपुष्ट तौर पर जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार उन पर इजरालय के लिए कतर की नौसेना की जासूसी का आरोप है।
विदेश मंत्रालय ने इस मामले में हस्तक्षेप कर भारतीय अधिकारियों को पूर्व में कांसुलर और कानूनी सहायता मुहैया कराई थी, लेकिन कतर सरकार की तरफ से लंबे समय तक इस बात को छुपाया गया। भारतीय अधिकारियों को किन आरोपों में गिरफ्तार किया गया। हालांकि, अपुष्ट तौर पर जो जानकारी सामने आई है, उसके अनुसार उन पर इजरालय के लिए कतर की नौसेना की जासूसी का आरोप है।
आगरा में संजीव गुप्ता के परिवार में खुशी की लहर
कतर में आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को मृत्यु दंड की सजा रद्द होने की जानकारी पर सरलाबाग निवासी गुप्ता परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता आगरा के निवासी हैं। मृत्यु दंड की सजा रद होने की खबर पर उनके पिता राजपाल गुप्ता की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत सरकार पर पूरा भरोसा था।
कतर में आठ पूर्व नौसेना अधिकारियों को मृत्यु दंड की सजा रद्द होने की जानकारी पर सरलाबाग निवासी गुप्ता परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई। पूर्व कमांडर संजीव गुप्ता आगरा के निवासी हैं। मृत्यु दंड की सजा रद होने की खबर पर उनके पिता राजपाल गुप्ता की खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा कि उन्हें भारत सरकार पर पूरा भरोसा था।
गांधी नगर निवासी पिता राजपाल गुप्ता इन दिनों सरला बाग में अपने बेटे के घर रह रहे हैं। गांधी नगर स्थित आवास पर ताला बंद है। सजा के बाद एक- एक दिन कैसे कटा है यह बता नहीं सकते हैं। हर पल यही लगता था कि पता नहीं बेटा किस हाल में होगा। बहू और नातिनी से बात होती थी हर बार एक ही सवाल रहता था, कुछ हुआ क्या। उन्होंने बताया कि 15 दिन पहले संजीव की पत्नी कतर थी, अभी तक उनसे बातचीत नहीं हो पाई है।
आखिरी बार मार्च 2022 में भारत आए थे संजीव
राजपाल गुप्ता रेलवे से रिटायर्ड अधिकारी हैं। चार बेटे हैं। परिवार पहले आगरा की रेलवे कालोनी में रहा है। वर्ष 1992 में गांधी नगर में आवास बनाया । कमांडर संजीव गुप्ता पूर्व नौसेना अधिकारी हैं। नौसेना से वीआरएस के बाद दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी ज्वाइन की थी। एक बेटी है। वह वर्ष 2018 में पत्नी और बेटी सहित कतर चले गए थे। आखिरी बार मार्च 2022 में आए थे। पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि अगस्त 2022 में कतर में आठ लोगों को पकड़ था। इनमें सात पूर्व नौसेना अधिकारी हैं। एक पूर्व नौसैनिक है। सभी लोग ओमा की कंपनी अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम करते थे। ओमान के एक सैन्य अधिकारी द्वारा कंपनी बनाई गई थी। कतर की नौसेना को ट्रेनिंग दी जाती थी। भारत के पूर्व नौसेना अधिकारियों को नहीं छोड़ा गया। बेटे की गिरफ्तारी की खबर भी परिजनों को करीब 15 दिन बाद मिली थी।
राजपाल गुप्ता रेलवे से रिटायर्ड अधिकारी हैं। चार बेटे हैं। परिवार पहले आगरा की रेलवे कालोनी में रहा है। वर्ष 1992 में गांधी नगर में आवास बनाया । कमांडर संजीव गुप्ता पूर्व नौसेना अधिकारी हैं। नौसेना से वीआरएस के बाद दिल्ली में एक कंपनी में नौकरी ज्वाइन की थी। एक बेटी है। वह वर्ष 2018 में पत्नी और बेटी सहित कतर चले गए थे। आखिरी बार मार्च 2022 में आए थे। पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि अगस्त 2022 में कतर में आठ लोगों को पकड़ था। इनमें सात पूर्व नौसेना अधिकारी हैं। एक पूर्व नौसैनिक है। सभी लोग ओमा की कंपनी अलदहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज में काम करते थे। ओमान के एक सैन्य अधिकारी द्वारा कंपनी बनाई गई थी। कतर की नौसेना को ट्रेनिंग दी जाती थी। भारत के पूर्व नौसेना अधिकारियों को नहीं छोड़ा गया। बेटे की गिरफ्तारी की खबर भी परिजनों को करीब 15 दिन बाद मिली थी।
2022 में गिरफ्तार किया गया था
बता दें कि नौसेना के सात पूर्व अधिकारियों और एक पूर्व नाविक को कतर की खुफिया एजेंसी ने 30 अगस्त, 2022 को गिरफ्तार कर लिया था। इनमें नौसेना के पूर्व कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन वीरेन्द्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरव वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर प्रनेंदू तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पाकला, कमांडर संजीव गुप्ता और नौसैनिक रागेश शामिल हैं। ये वहां पर ओमान के एक सैन्य अधिकारी द्वारा संचालित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज कंपनी के लिए कार्य कर रहे थे, जो कतर की नौसेना को विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण दे रही थी।
बता दें कि नौसेना के सात पूर्व अधिकारियों और एक पूर्व नाविक को कतर की खुफिया एजेंसी ने 30 अगस्त, 2022 को गिरफ्तार कर लिया था। इनमें नौसेना के पूर्व कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन वीरेन्द्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरव वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर प्रनेंदू तिवारी, कमांडर सुगुनाकर पाकला, कमांडर संजीव गुप्ता और नौसैनिक रागेश शामिल हैं। ये वहां पर ओमान के एक सैन्य अधिकारी द्वारा संचालित अल दहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज एंड कंसल्टिंग सर्विसेज कंपनी के लिए कार्य कर रहे थे, जो कतर की नौसेना को विभिन्न प्रकार का प्रशिक्षण दे रही थी।
जयशंकर ने परिजनों से की थी मुलाकात
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इन लोगों के परिजनों से मुलाकात कर कहा था कि वह उनका दर्द समझ सकते हैं। जयशंकर ने कहा था कि सरकार आठों लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी कोशिशें कर रही हैं।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इन लोगों के परिजनों से मुलाकात कर कहा था कि वह उनका दर्द समझ सकते हैं। जयशंकर ने कहा था कि सरकार आठों लोगों की रिहाई सुनिश्चित करने के लिए सभी कोशिशें कर रही हैं।