ये भी पढ़ें: PMKMY: सरकार की इस योजना में किसानों को हर महीने मिलेंगे 3 हजार रुपए, बस करना होगा ये काम इसलिए लिया गया फैसला नगर निगम के पशु चिकित्सा विभाग से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि शहरों में ज्यादातर एनिमल प्रेमी हैं और वह अलग-अलग जानवर पालते हैं। हालांकि इनमें से कुत्तों की संख्या सर्वाधिक होती है। लेकिन इनका नगर निगम में पंजीकरण नहीं कराते हैं। आगरा टीटीजेड क्षेत्र है। यहां जानवरों को लेकर बेहद सतर्कता बरती जाती है। खासकर शहर में संचालित तबेलों पर सुप्रीम कोर्ट के सख्त निर्देश हैं। इसलिए अब नगर निगम पालतू जानवरों को लेकर अधिनियम के प्रवाधानों के आधार पर स्थानीय नियमावली तैयार कर रहा है। जिसके तहत जानवरों को पालने से पहले उनका पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा। ये व्यवस्था प्रदेश के कई शहरों में लागू की जाएगी।
अलग-अलग जानवरों के लिए पंजीकरण शुल्क अधिकारियों का कहना है कि अक्सर आस-पड़ोस में जानवरों को लेकर विवाद होते रहते हैं। इनकी कई बार शिकायतें भी मिलती रहती हैं। कई बार मुकदमें दर्ज होने तक की नौबत आ जाती है। ऐसे में जानवरों को पालने से पहले उनका पंजीकरण कराने का फैसला लिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है। इसमें अलग-अलग जानवरों के लिए पंजीकरण शुल्क और रिन्यूवल शुल्क तय किया जाएगा। कुत्तों के लिए 500-1000 रुपये के बीच शुल्क लेने पर विचार किया जा रहा है।
ये भी पढ़ें: PM Kisan Yojana: इन किसानों को नहीं मिलगा 11वीं किस्त का लाभ, कहीं आप भी लिस्ट में तो नहीं शामिल? बढ़ रहे हमलों के मामले पालतू कुत्तों के साथ-साथ शहर में स्ट्रीट डाग्स की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इनकी वजह से कुत्तों के हमलों के मामलों में लगातार इजाफा हो रहा है। जिला अस्पताल में प्रतिदिन करीब 400 मामले आते हैं। इसके अतिरिक्त निजी चिकित्सकों के पास भी एंटी रैबीज लगवाने पहुंचते हैं। कुत्तों के अलावा बंदर, बिल्ली और चूहों के काटने के मामले भी आए दिन मिलते हैं।