श्रीमद्भागवत कथा में तीसरे दिन हुआ ध्रुव पर कृपा, अजामिल चरित्र, वृत्तासुर स्तुति, प्रह्लाद भक्ति व नृसिंह अवतार की कथा का वर्णन
आगरा•Aug 07, 2019 / 07:39 pm•
धीरेंद्र यादव
व्यास पीठ पर बैटी वृन्दावन की कथावाचक श्रद्धेय कीर्तिकिसोरी जी ने कहा कि मोह-माया के बजाय यदि आसक्ति श्रीहरि में की जाए तभी लाभकारी हो सकती है। श्रीहरि हमें सभी शरण में जाने के लिए मन के विकारों को दूर करना जरूरी है। कृष्ण का पाना है तो कहीं बाहर जाने की जरूरत नहीं।
मन को टटोलिए। खुद के अन्दर पवित्र भाव से झांकिए, श्रीहरि के दर्शन हो जाएंगे। खुद को खुद से (श्रीहरि से) जोड़ने की ही कथा श्रीमद्भागवत है। हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता... के माध्यम से बताया कि इस कथा का कोई पार नहीं है।
उन्होंने सत्संग की महिला का वर्णन पापी ब्राह्मण अजामिल चरित्र के माध्यम से बताया। प्रह्लाद चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी मां के गर्भ में ही नारद जी द्वारा ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
प्रह्लाद द्वारा बतायी गई भगवान विष्णु की नौ प्रकार की भक्ति के बारे में बताया। अंत में आरती कर सभी भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से रामप्रकाश अग्रवाल, सुनील, उमेश बंसल, राकेश दालवाले, महावीर मंदल, आलोक बाबू, हेमलता शालिनी, नीतू, नीलम, राधा, शकुंतला आदि उपस्तित थीं।
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