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ये बोले लेखक
लेखक अफसर अहमद ने किताब पर प्रकाश डालते हुए कहा कि औरंगजेब का किरदार भारतीय समाज में दशकों से तीखी बहस का विषय बना हुआ है। उसकी नीतियों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। औरंगजेब का नाम आते आमतौर पर हमारे जहन में उन्मादी शासक, जो हिन्दू विरोधी था, क्रूर आक्रांता, मूर्ति-मंदिर भंजक, भाइयों का हत्यारा जैसी बातें आती हैं। वह एक ऐसा बादशाह भी था, जिसने हिन्दुस्तान की सरहदों को नईं मंजिलें दीं। करीब 50 वर्ष तक हुकूमत के दौरान अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण भारत तक मुगल साम्राज्य का विस्तार किया। उसने प्रेम किया। उसकी दो हिन्दू पत्नियां भी थीं। वह संस्कृत भाषा का ज्ञाता भी था। उसकी यह यात्रा काफी दिलचस्प थी। यह किताब वास्तव में उन आरोपों और सवालों की हकीकत जानने की एक मजबूत कोशिश है। इसमें हर उस सवाल का जवाब है जो बीते वर्षों में औरंगजेब को लेकर उठे हैं।
लेखक अफसर अहमद ने किताब पर प्रकाश डालते हुए कहा कि औरंगजेब का किरदार भारतीय समाज में दशकों से तीखी बहस का विषय बना हुआ है। उसकी नीतियों को लेकर अक्सर सवाल उठते रहे हैं। औरंगजेब का नाम आते आमतौर पर हमारे जहन में उन्मादी शासक, जो हिन्दू विरोधी था, क्रूर आक्रांता, मूर्ति-मंदिर भंजक, भाइयों का हत्यारा जैसी बातें आती हैं। वह एक ऐसा बादशाह भी था, जिसने हिन्दुस्तान की सरहदों को नईं मंजिलें दीं। करीब 50 वर्ष तक हुकूमत के दौरान अफगानिस्तान से लेकर दक्षिण भारत तक मुगल साम्राज्य का विस्तार किया। उसने प्रेम किया। उसकी दो हिन्दू पत्नियां भी थीं। वह संस्कृत भाषा का ज्ञाता भी था। उसकी यह यात्रा काफी दिलचस्प थी। यह किताब वास्तव में उन आरोपों और सवालों की हकीकत जानने की एक मजबूत कोशिश है। इसमें हर उस सवाल का जवाब है जो बीते वर्षों में औरंगजेब को लेकर उठे हैं।
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अफसर अहमद कहते हैं बेशक जवाब तलाशना आसान नहीं रहा। क्योंकि बाद के इतिहासकारों में कुछ ही निष्पक्ष रह पाए। इसलिए पूरी सीरीज में अधिकतर औरंगजेब पर लिखे गए मूल संदर्भ ग्रंथों का सहारा लिया गया है। हमने सही और गलत दोनों पक्षों को तथ्यों के साथ पेश किया है। औरंगजेब नायक था या खलनायक, किताब को पढ़कर यह निर्णय पाठकों को करना है। जल्दी ही इसके अन्य संस्करण भी उपलब्ध होंगे।
अफसर अहमद कहते हैं बेशक जवाब तलाशना आसान नहीं रहा। क्योंकि बाद के इतिहासकारों में कुछ ही निष्पक्ष रह पाए। इसलिए पूरी सीरीज में अधिकतर औरंगजेब पर लिखे गए मूल संदर्भ ग्रंथों का सहारा लिया गया है। हमने सही और गलत दोनों पक्षों को तथ्यों के साथ पेश किया है। औरंगजेब नायक था या खलनायक, किताब को पढ़कर यह निर्णय पाठकों को करना है। जल्दी ही इसके अन्य संस्करण भी उपलब्ध होंगे।
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अफसर अहमद ने इस मौके पर बताया कि किताब का 145 पेज के पहले खंड औरंगजेब की शुरुआती जिंदगी से जुड़ा है। जिसमें उसकी व्यक्तिगत जिन्दगी से जुड़ी हैरतअंजेग जानकारियां हैं। जो पहले कभी सामने नहीं आईं। मसलन उसका संस्कृत भाषा का ज्ञान, उसका एक लड़की को देखकर बेहोश हो जाना, उसकी हिन्दू पत्नियां, उसके युद्ध के मैदान के किस्से और उसके पिता शाहजहां के बीच सत्ता संघर्ष से पहले महत्वपूर्ण पत्र व्यवहार, जो दोनों के बीच रिश्तों की हकीकत को सामने लाता है। पहले खंड से यह साफ होता है कि मुगलों में इतना भयंकर खूनी संघर्ष क्यों हुआ।
अफसर अहमद ने इस मौके पर बताया कि किताब का 145 पेज के पहले खंड औरंगजेब की शुरुआती जिंदगी से जुड़ा है। जिसमें उसकी व्यक्तिगत जिन्दगी से जुड़ी हैरतअंजेग जानकारियां हैं। जो पहले कभी सामने नहीं आईं। मसलन उसका संस्कृत भाषा का ज्ञान, उसका एक लड़की को देखकर बेहोश हो जाना, उसकी हिन्दू पत्नियां, उसके युद्ध के मैदान के किस्से और उसके पिता शाहजहां के बीच सत्ता संघर्ष से पहले महत्वपूर्ण पत्र व्यवहार, जो दोनों के बीच रिश्तों की हकीकत को सामने लाता है। पहले खंड से यह साफ होता है कि मुगलों में इतना भयंकर खूनी संघर्ष क्यों हुआ।
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पुस्तक के संस्करण का विमोचन होटल गोवर्धन में सेंट जॉन्स कॉलेज के इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. आरसी शर्मा, सेन्ट जॉन्स कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे डॉ. श्रीभगवान शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल, समाजसेवी समी आगाई, श्रवण कुमार सिंह ने किया। डॉ. आरसी शर्मा ने किताब के लिए शुभकामनाएं दीं। वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल ने बताया कि इस किताब में नए तरह का इतिहास लेखन है, जो विभिन्न तथ्यों को एकत्र कर वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है। इससे पहले हिन्दी में ऐसी कोई प्रमाणिक पहल नहीं हुई। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. श्रीभगवान शर्मा, पूर्व विधायक सतीश चंद गुप्ता विभव, भाजपा पार्षद संजय राय, पद्मिनी अय्यर, सुरेन्द्र शर्मा, श्रवण कुमार, राहुल राय, दीपक राजपूत, अमित कोहली, विकास शर्मा, देवदत्त, अनिल शर्मा आदि मौजूद थे।
पुस्तक के संस्करण का विमोचन होटल गोवर्धन में सेंट जॉन्स कॉलेज के इतिहास के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. आरसी शर्मा, सेन्ट जॉन्स कॉलेज में हिन्दी विभागाध्यक्ष रहे डॉ. श्रीभगवान शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल, समाजसेवी समी आगाई, श्रवण कुमार सिंह ने किया। डॉ. आरसी शर्मा ने किताब के लिए शुभकामनाएं दीं। वरिष्ठ पत्रकार बृज खंडेलवाल ने बताया कि इस किताब में नए तरह का इतिहास लेखन है, जो विभिन्न तथ्यों को एकत्र कर वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है। इससे पहले हिन्दी में ऐसी कोई प्रमाणिक पहल नहीं हुई। इस अवसर पर मुख्य रूप से प्रो. श्रीभगवान शर्मा, पूर्व विधायक सतीश चंद गुप्ता विभव, भाजपा पार्षद संजय राय, पद्मिनी अय्यर, सुरेन्द्र शर्मा, श्रवण कुमार, राहुल राय, दीपक राजपूत, अमित कोहली, विकास शर्मा, देवदत्त, अनिल शर्मा आदि मौजूद थे।