पत्रिकाः जम्मू एवं कश्मीर से धारा 270 हटाने में जम्मू कश्मीर अध्ययन केन्द्र की क्या भूमिका है? आशुतोष भटनागरः कोई भूमिका नहीं है। पत्रिकाः फिर आप जो इतना काम कर रहे हैं, वह बेकार है?
आशुतोष भटनागरः हमने जो काम किया, वह देश के लोगों के बीच में ले गए। इससे देश को खड़ा होने में मदद मिली है। हमारी भूमिका देश को जगाने की थी। सत्य लोगों तक पहुंचाने की थी। उनकी भाषा में सच पहुंचाया, जिसके कारण देश खड़ा हुआ और सरकार ने सही निर्णय़ लिया।
पत्रिकाः धारा 370 हटवाने में क्या यह अप्रत्यक्ष भूमिका नहीं है? आशुतोष भटनागरः हां, अप्रत्यक्ष रूप से भूमिका है। हम तो भारत के लिए काम कर रहे थे। हमारा मानना है कि कश्मीर समस्या नहीं है, कश्मीर में समस्या है। कश्मीर में समस्या इसलिए है कि वह भारत है। अगर वह भारत नहीं होता तो वहीं कोई समस्या नहीं थी। भारत की समस्या को भारत को सुलझाना है। इस समस्या को सुलझाने के लिए जिस दिन भारत खड़ा हो गया, सरकार ने निर्णय ले लिया।
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पत्रिकाः तो क्या अब कश्मीर अध्ययन केन्द्र की आवश्यकता खत्म हो गई है? आशुतोष भटनागरः बिलकुल खत्म नहीं हुई है। अभी पहला चरण पूरा हुआ है। बहुत बड़ा काम बाकी है। हमारा मुख्य काम एकात्मता का है। कश्मीर के लोगों को जोड़ना है। उन्हें अपने साथ एकाकार करना है। वो बहुत बड़ा काम है, जिसे करना बाकी है।
पत्रिकाः तो क्या अब कश्मीर अध्ययन केन्द्र की आवश्यकता खत्म हो गई है? आशुतोष भटनागरः बिलकुल खत्म नहीं हुई है। अभी पहला चरण पूरा हुआ है। बहुत बड़ा काम बाकी है। हमारा मुख्य काम एकात्मता का है। कश्मीर के लोगों को जोड़ना है। उन्हें अपने साथ एकाकार करना है। वो बहुत बड़ा काम है, जिसे करना बाकी है।
पत्रिकाः आपने अभी पीओके की बात की है, उसके वापस आने की संभावना कब तक है? आशुतोष भटनागरः उसकी कोई तिथि निश्चित नहीं की जा सकती, लेकिन पाकिस्तान जैसे काम कर रहा है, हो सकता है जल्दी हो जाए।
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पत्रिकाः सरकार आपके मत की है, विचारों की है तो आप प्रेशर नहीं डाल सकते हैं?
पत्रिकाः सरकार आपके मत की है, विचारों की है तो आप प्रेशर नहीं डाल सकते हैं?
आशुतोष भटनागरः सरकार के कारण नहीं होता है। विश्व की परिस्थितियों के आधार पर होता है। निश्चित रूप से आज विश्व की परिस्थितियां हमारे पक्ष में हैं। फिर भी तारीख बताना अनिश्चित है, लेकिन आने वाले वर्षों में हम इतिहास और भूगोल बदलता देखेंगे।
पत्रिकाः चीन लगातार कश्मीर में अपनी शक्ति बढ़ा रहा है, उस पर सरकार की चिन्ता दिखाई नहीं देती है? आशुतोष भटनागरः सरकार की चिन्ता है, लेकिन चीन और पाकिस्तान के साथ इन चिन्ताओं का फर्क है। पाकिस्तान में जो हिस्सा भारत का है, उसमें हमारे 50 लाख से ज्यादा नागरिक भी रहते हैं। चीन के पास जो हमारी 42 हजार वर्ग किलोमीटर भूमि है, उसमें केवल छह गांव हैं और लगभग एक हजार की जनसंख्या है। पाकिस्तान में हमारे लोग हर दिन पीड़ित हो रहे हैं, इसलिए हमारी प्राथमिकता है, लेकिन चीन को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है। उस पर निश्चित रूप से आगे बढ़ेंगे। पिछले पांच साल में हमने चीन की सीमा पर टैंक पहुंचाए हैं। हमारी सेना आगे बढ़ी है। वहां पर नई बटालियन खड़ी की है। सैनिक हवाई अड्डे वहां पर बन चुके हैं।
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पत्रिकाः आप कहते हैं कि पूरा कश्मीर आने पर हम सड़क मार्ग से यूरोप जा सकते हैं, वह कब तक हो सकता है?
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आशुतोष भटनागरः यह तो परिस्थितियों पर निर्भर करेगा। पत्रिकाः क्या इसके लिए काम कर रहे हैं? आशुतोष भटनागरः वातावरण बनाने की बात है। चर्चा होती है। हर चीज की चर्चा का कोई न कोई फल मिलता है।