आगरा

भगत सिंह की शहादत भूला आगरा?यहां बनाए बम को असेंबली में फोड़ा था

आज भागत सिंह के शाहदत के दिन उनकी प्रतिमा के पास कोई संस्था या संगठन नहीं पहुंचा है।

आगराMar 23, 2023 / 10:59 am

Avinash Jaiswal

नूरी दरवाजा क्षेत्र में भगत सिंह रुके थे

हमें आजादी दिलाने के लिए खुशी – खुशी फांसी के फंदे को चूम कर गले में डालने वाले शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत को शायद आगरा भूल गया है। नूरी दरवाजा क्षेत्र में जहां भगत सिंह ने रहकर बम बनाया था, आज वहां की सफाई तक नहीं हुई थी। स्थानीय लोगों को शहीद दिवस के बारे में जानकारी तक नहीं थी।
वतन वालों ये वतन न बेच देना,
ये धरती ये चमन न बेच देना,
शहीदों ने जान दी है वतन के वास्ते,
शहीदों के कफन न बेच देना

यह पंक्तियां आज काफी हद तक सही होती नजर आई है। छोटी – छोटी बातों में झंडा बैनर लेकर खड़े हो जाने वाले अखबारी छपासुओ को भी यह याद नहीं। रहा की सन 1931 में आज के दिन ही शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजों ने फांसी दी थी। नूरी दरवाजा भगत सिंह चौक पर जहां आज मेला लगना चाहिए था, सुबह 9 बजे तक वहां झाड़ू तक नहीं लगी थी। पुराने सूखे फूलों के बीच भगत सिंह की प्रतिमा की नजर लाला छन्नो मल की जर्जर हो चुकी हवेली को देख रही थी। शायद भगत सिंह सोच रहे होंगे की उनकी इस निशानी को भी उनके देश के लोग संभाल नहीं पाए।
स्थानीय निवासियों ने बताया की उन्होंने यहां आपस में मिलकर एक सफाई कर्मचारी को रखा है। वो रोजाना सफाई करता है और सभी दुकानदार प्रतिदिन यहां आकर शहीद भगत सिंह को नमन करते हैं। आज शहीद दिवस पर कोई संस्था या समूह तो नहीं आया है पर हम लोग रोज की तरह पूजन करेंगे।
आगरा में छात्र बनकर रहे थे भगत सिंह

इतिहासकार राज किशोर राजे ने बताया की सरदार भगत सिंह सन 1928 में अंग्रेज अधिकारी सांडर्स को गोली मारने के बाद अज्ञात वास के लिए आगरा आए थे। भगत सिंह ने यहां आगरा कालेज में बीए में एडमिशन लिया था। वो नाई की मंडी, हींग की मंडी क्षेत्र में रहे थे। यहां उन्होंने असेंबली में बम फोड़कर पूरे देश में क्रांति का पैगाम देने का प्लान बनाया था। लाला लाजपत राय के मना करने के बाद भी उन्होंने यहां बम बनाना सीखा और नाई की मंडी क्षेत्र में उसका परीक्षण किया। बम बनाने का काम सीखने के लिए उन्होंने ढाई रुपए महीने पर नूरी दरवाजा में लाला छन्नो मल की हवेली में कमरा किराए पर लिया था। वर्तमान में यह इमारत खंडहर हो चुकी है और नगर निगम इसे गिरासू घोषित कर चुका है। हालांकि इसके बावजूद हवेली में कुछ दुकानें अभी भी चल रही हैं।
लाहौर में हुई थी सुनवाई, आगरा के लोग थे गवाह

स्थानीय निवासी ज्ञानेंद्र लाला बताते हैं की भगत सिंह को दूध बहुत पसंद था और वो रोजाना हवेली के सामने दुकान से कुल्हड़ में दूध लेकर पीते थे। कई बार वो पैसे उधार भी कर जाते थे। असेंबली बम कांड के बाद लाहौर में सांडर्स हत्याकांड की जब सुनवाई हुई थी तो आगरा के एक दर्जन से ज्यादा लोगों की गवाही भी हुई थी।

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