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सवा अरब के देश में 33 हजार नास्तिक, 29 लाख ने नहीं किया अपने धर्म का खुलासा

2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में 9,652 लोग नास्तिक हैं। इनमें भी 71 फीसदी गांवों में रहते हैं। 9089 लोगों के साथ मेघालय दूसरे स्थान पर है।

अजमेरJul 30, 2016 / 08:31 am

panchang

नई दिल्ली. विविधताओं से भरपूर हमारे देश की करीब सवा सौ करोड़ की आबादी है, मगर हैरान करने वाली बात यह है कि ज्यादातर लोग आस्थावान हैं। देश में कुल 33 हजार लोग ही नास्तिक हैं। 
2011 के जनसंख्या के आंकड़ों के अनुसार कुछ ही लोग ऐसे हैं, जो नास्तिक हैं यानी भगवान को नहीं मानते हैं। इससे पहले 2012 में जारी वैश्विक धार्मिकता सूचकांक के एक अनुमान के मुताबिक, भारत में महज 3 फीसदी लोग ही ईश्वर में यकीन नहीं करते हैं। 
2011 की जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक, महाराष्ट्र में 9,652 लोग नास्तिक हैं। इनमें भी 71 फीसदी गांवों में रहते हैं। 9,089 लोगों के साथ मेघालय दूसरे स्थान पर है। इसके बाद केरल का नंबर है, जहां 4896 लोग ही नास्तिक हैं। जबकि दिल्ली में 541 और पश्चिम बंगाल में 784 लोग ईश्वर को नहीं मानते हैं।
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72% भिखारी हिंदू और 25% मुस्लिम

भारत की जनसंख्या का करीब 14.23 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम है। भारत सरकार ने 3.7 लाख भिखारियों को सूचीबद्ध किया, जिसमें क रीब 25 प्रतिशत लोग मुस्लमान हैं। पिछले माह कार्यकर्ताओं की ओर से ये चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए। 
इसमें 2011 के जनगणना को दोबारा जातिगत आधार पर किया गया। इसमें भारत में काम नहीं करने वाले लोगों का भी आकलन किया। इसमें सामने आया कि भारत में करीब 72 करोड़ गैर कामकाजी लोग हैं। 
इसमें से करीब 3.7 लाख भिखारी हैं। भिखारियों की संख्या 2011 में 2001 की तुलना में करीब 41 प्रतिशत तक कम हुई है। 2001 में भारत के अंदर करीब 6.3 लाख भिखारी थे। भिखारियों में मुसलमानों का प्रतिशत ज्यादा है। 2011 की इस जनगणना में सामने आया है कि 3.7 लाख भिखारियों में से 92,760 मुसलमान हैं।
वहीं भारत में करीब 79.8 प्रतिशत हिंदू जनसंख्या है। वहीं 2.68 लाख भिखारी हैं। ये भिखारियों की जनसंख्या का करीब 72.22 प्रतिशत है। भारत में ईसाइयों की जनसंख्या 2.3 प्रतिशत है। भारत में करीब 3,303 ईसाई भिखारी है। 
बौद्ध धर्म के 0.52 प्रतिशत, सिख के 0.45 प्रतिशत, जैन धर्म के 0.06 प्रतिशत लोग भिखारी हैं। इन आंकडों में सामने आया है कि मुस्लिम पुरुषों की तुलना में ज्यादा मुस्लिम महिलाएं भीख मांग रही हैं। वहीं दूसरी जातियों में पुरुष भिखारी ज्यादा है। 
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