ये शर्मनाक आैर संवेदनहीन होती व्यवस्थाआें पर सवाल उठाता मामला इटावा के विक्रमपुर गांव का है। यहां के उदयवीर सिंह के बेटे पुष्पेन्द्र की सोमवार को तबीयत खराब हो गर्इ। इसके बाद वे अपने बेटे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां पहुंचकर डाॅक्टर्स ने पुष्पेन्द्र को मृत घोषित कर दिया।
बेटे की मौत से दुखी उदयवीर को पुष्पेन्द्र को ले जाने के लिए कह दिया। पीड़ित उदयवीर का आरोप है कि उन्हें बेटे की बाॅडी ले जाने के लिए न तो कोर्इ एंबुलेंस मुहैया करार्इ गर्इ आैर न ही स्ट्रेचर। इसके बाद बेटे की मौत के गम में डूबे उदयवीर ने उसकी बाॅडी को कंधे पर उठाया आैर घर की आेर चल दिए।
सुकमा हमले में घायल जवान के गांव बैंड बाजे के साथ पहुंची भाजपा विधायक, गुस्साए परिजनों ने भेजा वापस उन्होंने कहा कि डाॅक्टर ने कुछ मिनट तक मेरे बच्चे को देखा आैर फिर कह दिया कि इसे ले जाआे अब इसके शरीर में कुछ नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि किसी ने भी मुझसे बाॅडी ले जाने के लिए एंबुलेंस या ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध होने के लिए नहीं कहा।
शहीद की बेटी ने कहा- एक के बदले चाहिए 10 PAK सैनिकों के सिर, तभी मिलेगी पापा की आत्मा को शांति उधर, इस मामले में सीएमआे डाॅ राजीव का कहना है कि दोषी डाॅक्टर के खिलाफ कार्रवार्इ होगी। इस घटना से अस्पताल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है। यह हमारी गलती है। वहीं डाॅ. अशोक पालीवाल के अनुसार डाॅक्टर ने बच्चे को देखा था लेकिन उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी। इसके बाद पिता उसे लेकर चला गया आैर किसी ने भी एंबुलेंस या अन्य वाहन के लिए नहीं कहा।