71 Years 71 Stories

जवान बेटे के शव काे कंधे पर रखकर अस्पताल से निकला पिता, न एंबुलेंस मिली न स्ट्रेचर

एक पिता के लिए जिंदगी का सबसे बड़ा दुख बेटे की मौत होती है। एक पिता को एेसे ही दुख की घड़ी में सरकारी व्यवस्थाआें ने आैर दुखी कर दिया।

सुल्तानपुरMay 02, 2017 / 04:47 pm

Abhishek Pareek

एक पिता के लिए जिंदगी का सबसे बड़ा दुख बेटे की मौत होती है। एक पिता को एेसे ही दुख की घड़ी में सरकारी व्यवस्थाआें ने आैर दुखी कर दिया। ये पिता अपने 15 साल के बेटे के शव को रोते हुए कंधे पर रखकर अस्पताल से घर ले गया। 
ये शर्मनाक आैर संवेदनहीन होती व्यवस्थाआें पर सवाल उठाता मामला इटावा के विक्रमपुर गांव का है। यहां के उदयवीर सिंह के बेटे पुष्पेन्द्र की सोमवार को तबीयत खराब हो गर्इ। इसके बाद वे अपने बेटे को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे। जहां पहुंचकर डाॅक्टर्स ने पुष्पेन्द्र को मृत घोषित कर दिया। 
बेटे की मौत से दुखी उदयवीर को पुष्पेन्द्र को ले जाने के लिए कह दिया। पीड़ित उदयवीर का आरोप है कि उन्हें बेटे की बाॅडी ले जाने के लिए न तो कोर्इ एंबुलेंस मुहैया करार्इ गर्इ आैर न ही स्ट्रेचर। इसके बाद बेटे की मौत के गम में डूबे उदयवीर ने उसकी बाॅडी को कंधे पर उठाया आैर घर की आेर चल दिए। 
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उन्होंने कहा कि डाॅक्टर ने कुछ मिनट तक मेरे बच्चे को देखा आैर फिर कह दिया कि इसे ले जाआे अब इसके शरीर में कुछ नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि किसी ने भी मुझसे बाॅडी ले जाने के लिए एंबुलेंस या ट्रांसपोर्ट की सुविधा उपलब्ध होने के लिए नहीं कहा। 
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उधर, इस मामले में सीएमआे डाॅ राजीव का कहना है कि दोषी डाॅक्टर के खिलाफ कार्रवार्इ होगी। इस घटना से अस्पताल की प्रतिष्ठा को धक्का लगा है। यह हमारी गलती है। वहीं डाॅ. अशोक पालीवाल के अनुसार डाॅक्टर ने बच्चे को देखा था लेकिन उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी। इसके बाद पिता उसे लेकर चला गया आैर किसी ने भी एंबुलेंस या अन्य वाहन के लिए नहीं कहा। 

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