जब हाल ही में अमरीका के राजदूत रिचर्ड वर्मा ने 22 अक्तूबर को तवांग का दौरा किया था, बीजिंग ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि राजदूत ने ‘विवादित क्षेत्र’ का दौरा किया है। साथ ही अमरीका को चेतावनी देते हुए चीन ने उसे भारत और चाईना के सीमा विवाद में न पड़ने की सलाह दी थी।
दलाई लामा की इस यात्रा के बारे में विदेशी प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा कि वे धर्म गुरु हैं औऱ भारत के विशेष वयक्ति हैं। वे भारत के किसी भी क्षेत्र में बिना रोकटोक के आ जा सकते हैं। उनके अरुणाचल प्रदेश में बहुत से अनुयायी हैं, वे सभी उनका आशीर्वाद चाहते हैं। अगर दलाई लामा वहां जाना चाहते हैं तो इसमे कोई परेशानी की बात नहीं है।
इस पर चीन ने ऐतराज जताते हुए कहा है कि तिब्बती धर्मगुरु को आमंत्रण ‘सीमांत क्षेत्रों में शांति और स्थिरता को क्षति पहुंचाएगा’ साथ ही भारत के साथ संबंधों के लिए भी नुकसानदायक होगा।
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, ‘चीन और भारत के बीच विवादित क्षेत्रों में किसी गतिविधि में शामिल होने के लिए दलाई लामा को निमंत्रण देना सीमांत क्षेत्रों में शांति और स्थिरता तथा भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय संबंधों के लिए नुकसानदायक होगा।’