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कॉमनवेल्थ तक जमाई धाक, 15 बार रहे सीनियर नेशनल चैम्पियन

– मारवाड़ के एकमात्र एथलीट घमंड़ाराम

जोधपुरMay 25, 2024 / 08:20 pm

Amit Dave

मारवाड़ की प्रतिभाएं अब पढ़ाई-लिखाई के साथ-साथ खेलों में भी अपना नाम कर रही है। इनमें कई तो ऐसे हैं, जिन्होंने राष्ट्रीय-अन्तरराष्ट्रीय स्तर तक अपनी पहचान बनाई है। इनमें से एक है एथलीट घमंडाराम डूडी, जिन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा कॉमनवेल्थ गेम्स तक मनवाया है। घमंडाराम, मारवाड़ के एकमात्र खिलाड़ी हैं, जिन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लिया है। इन्होंने वर्ष 2006 में मेलबर्न (ऑस्ट्रेलिया) में आयोजित 18वें कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया है।

बेस्ट एथलीट का खिताब

वर्ष 2000 में रूस में आयोजित चिल्ड्रन एशियन गेम्स में तीन स्वर्ण पदक हासिल किए। यहां 800, 1500 और 5000 मीटर में शानदार प्रदर्शन करने के कारण बेस्ट एथलीट से नवाजे गए। इसके अलावा वर्ष 2002 में बैंकॉक में जूनियर एशियाई चैंपियनशिप में कांस्य, 2004 में इस्लामाबाद में सैफ गेम्स में रजत, वर्ष 2005 में थाईलैंड में एशियाई इंडोर गेम्स में स्वर्ण, 2011 में जापान में एशियाई एथलीट चैंपियनशिप में कांस्य, 2011 में चीन में एशियाई एथलेटिक्स ग्रांपी में तीन रजत, 2011 में एम्सटर्डम ओपन एथलेटिक्स चैंपियनशिप में रजत सहित कई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में खिताब जीते हैं।

15 बार सीनियर नेशनल चैंपियन

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा में 800 से 5000 मीटर तक धूम मचा चुके घमंडाराम 15 बार सीनियर नेशनल चैंपियन रहे हैं और पांच बार जूनियर नेशनल चैंपियन भी रहे। घमंडाराम ने वर्ष 2000 से 2008 तक आर्मी में नौकरी की। अभी वे ओएनजीसी देहरादून में सीनियर चीफ इंस्पेक्टर पद पर कार्यरत है। वर्तमान में भावी एथलीट्स को कोचिंग भी दे रहे हैं।

दौड़ से कमाया नाम

घमंडाराम का जन्म वर्ष 1984 में ओसिया तहसील के किंजरी गांव में साधारण किसान परिवार में हुआ। इनके पिता बगदाराम किसान है और माता भादू देवी गृहणी है। इन्होंने 11 वर्ष की उम्र में गांव की स्कूल में आयोजित दौड़ प्रतियोगिता में भाग लिया और विजयी हुए। 13 वर्ष की उम्र में वर्ष 1997 में जूनियर स्टेट लेवल कॉम्पिटिशन में रजत पदक जीता। वर्ष 1999 में जोधपुर में स्पोर्ट्स ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (साई) हॉस्टल में भर्ती हुए। इस दौरान घमंडाराम 12वीं के बाद पढ़ाई नहीं कर पाए, लेकिन खेलों में श्रेष्ठ प्रदर्शन कर आगे बढ़ते गए।

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