डायबिटीज के मरीजों में उम्र के साथ रेटिनोपैथी की समस्या हो जाती है। इसमें आंखों में रेटिना की रक्त वाहिकाएं फट जाती हैं और धीरे-धीरे रोशनी चली जाती है। रेटिनोपैथी के लिए तीन एंजाइम जिम्मेदार हैं। एल्डोलेज रिडक्टेज ग्लूकोज बढ़ाता है। एसीई-2 एंजाइम रक्त वाहिकाओं पर केपेलरी प्रेशर बढ़ाता है। डीपीपी-4 इंसुलिन का स्राव रोकता है। नेफ्रोनिल तीनों एंजाइमों को बाधित कर देती है। इससे आंखों की रोशनी बनी रहती है।
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पुरानी ड्रग है नेफ्रोनिलयह शोध जेएनवीयू के प्राणी शास्त्र विभाग के डॉ. हीराराम, एम्स बायोकेमेस्ट्री विभाग के धर्मवीर यादव सहित अन्य शोधकर्ताओं ने किया है। यह शोध अमरीका के विले पब्लिकेशन ने अपने जर्नल बायोटेक्नोलॉजी एण्ड एप्लायड बायोकेमेस्ट्री में प्रकाशित किया है। दरअसल नेफ्रोनिल ब्लड प्रेशर में काम आने वाली पुरानी ड्रग है। वर्तमान में डॉक्टर इसका बहुत कम उपयोग करते हैं।
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उम्र के साथ डायबिटीक मरीजों को सर्वाधिक परेशानी इस बीमारी के कारण होने वाली अन्य बीमारियों से होती है। डायबिटीज में मरीजों में भूलने की बीमारी, आंखों की रोशनी जाना जैसे प्रमुख लक्षण होते हैं। नेफ्रोनिल आंखों की रोशनी बनाए रखने में बेहतर साबित हुई है।
-डॉ. हीराराम, प्राणीशास्त्र विभाग, जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर