यह भी पढ़ें एसएमएस अस्पताल के ईसीजी टेक्नीशियन जगदीश सोहू ने बताया कि वह 27 नंबर में काम करते है। यह घटना आज सुबह करीब 6 बजकर 40 मिनट पर हुई। वह दूसरी मंजिल से ग्राउंड फ्लोर पर लिफ्ट से आ रहे थे। उनके साथ एक महिला मरीज व एक पुरूष मरीज व एक तीमारदार थे। कुल चार लोग लिफ्ट में थे। जब लिफ्ट दूसरी मंजिल से नीचे आने लगी तो अचानक बीच में आकर झटके से बंद हो गई। एक बारगी तो समझ नहीं आया कि क्या हुआ। लेकिन बाद में जब लिफ्ट चली ही नहीं तब समझ आया कि हम फंस गए है।
यह भी पढ़ें स्टॉफ होने के कारण मैंने सुपरवाइज व अपने साथियों को फोन किए। सुपरवाइजर राकेश जागिड़ व इस्लाम ने फोन नहीं उठाया। हम करीब एक घंटे तक लिफ्ट में फंसे रहे। इस दौरान लिफ्ट का पंखा भी बंद था और लाइटें काम नहीं कर रही थी। ऐसे में हमारा दम घुटने लगा था। हम बुरी तरह घबरा गए थे। वह तो गनीमत थी कि मेरे स्टॉफ ने मेरा साथ दिया। अन्यथा मरीज फंस जाते तो दो—तीन घंटे तक फंसे रहते या हो सकता है उनके साथ कोई हादसा भी हो सकता था।
गलती हो गई मेरी, मानता हूं, बोला सुपरवाइजर… पत्रिका ने जब इस मामले में सुपरवाइजर राकेश जागिड़ से बात की तो उसने कहा कि मेरी गलती हो गई। मैं मेरा मोबाइल छोड़कर ट्रोमा की लिफ्ट चेक करने के लिए चला गया था। मेरा मोबाइल डिस्चार्ज था, उसे चार्ज लगाकर गया था। पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। आज पहली बार ऐसा हुआ। मानता हूं कि मेरे से बहुत बड़ी गलती हुई है।
मुझे तो पता ही आपसे चला है, कार्रवाई जरूर होगी: अधीक्षक जब इस मामले में अधीक्षक डॉ सुशील भाटी से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मुझे तो मालूम ही आपसे चला है। अच्छा है आपने बता दिया। यह तो बहुत बड़ा मामला है। इस मामले में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई जरूर की जाएगी।