देवशयनी एकादशी पर्व 17 जुलाई को मनाया जाएगा। मान्यता है कि देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु क्षीरसागर में विश्राम करते हैं और भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं। इन चार माह में साल के सबसे अधिक व्रत-त्योहार आते हैं। चातुर्मास के दौरान श्रावण का महीना होगा और इस एक माह में भक्त भगवान शिव की आराधना, जलाभिषेक करेंगे। इसी तरह नाग पंचमी, रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, गणेश उत्सव, दुर्गा उत्सव, दशहरा, दीपावली सहित अन्य पर्व रहते हैं। चातुर्मास के चार महीनों तक पूरे साल में सबसे अधिक पर्व रहते हैं। इस बार चातुर्मास के दौरान आने वाले अधिकांश पर्व 11 से 15 दिन जल्दी आएंगे।
पण्डित भट्ट ने बताया कि बरसों साल बाद इस वर्ष आषाढ़ माह का कृष्ण पक्ष 15 के बजाए 13 दिन का होगा। 23 जून से 21 जुलाई तक आषाढ़ मास के दौरान कृष्ण पक्ष में द्वितीया तिथि और चतुर्थी तिथि का क्षय होने से यह पक्ष 13 दिन का होगा। यह काल दुर्योग काल के रूप में होगा। यह संयोग शुभ नहीं माना जाता है। भारतीय पंचांग में हर पक्ष 15 दिन का होता है। लेकिन, आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष में 15 के बजाए 13 दिन ही रहेंगे। इन 13 दिन को अशुभ माना जाता है। इस बार यह पक्ष 23 जून से शुरू होकर 5 जुलाई तक रहेगा।