राजनीति में यह नया चलन
कोलकाता के सामाजिक विज्ञान अध्ययन केंद्र के राजनीतिक विज्ञानी मैदुल इस्लाम कहते हैं कि राज्य की राजनीति में यह नया चलन देखा जा यहा है। पहले किसी भी चुनाव में कभी भी राजनीतिक परिवारों से इतने उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिला था।
कहीं भतीजे, कहीं पत्नी
डायमंड हार्बर लोकसभा सीट से लगातार दो बार सांसद रहे अभिषेक बनर्जी तीसरी बार चुनाव मैदान में हैं। उलुुबेरिया लोकसभा क्षेत्र से तृणमूल सांसद साजदा अहमद पार्टी के दिवंगत सांसद सुल्तान अहमद की पत्नी है। बर्षमान-दुर्गापुर सीट से तृणमूल उम्मीववार और पूर्व क्रिकेटर और सांसद कीर्ति आजाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री भागवत झा आजाद के बेटे हैंं। जयनगर से तृणमूल उम्मीदवार प्रतिमा मंडल पार्टी के पूर्व सांसद गोबिंदा बंद नस्कर की बेटी है। कायी लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार शुभेन्दु अधिकारी के छोटे भाई हैं। बनगांव लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार शांतनु ठाकुर तृणमूल सरकार में मंत्री रहे मंजुल कृष्ण तापुर के बेटे हैं।
कहीं पुत्र, कहीं पुत्रवधू
मालदह दक्षिण सीट से कांग्रेस उम्मीदवार ईशा खान चौधरी अबू हासिम खान चौधरी के बेटे हैं। पुरुलिया सीट से कांग्रेस उम्मीदवार नेपाल महतो पूर्व संसद देवेंद्र महतो के बेटे हैं। राज्य के पूर्व मंत्री अब्दुस सत्तार के पोते मुर्तजा हुसैन जंगीपुर सीट से और दिग्गज फॉरवर्ड ब्लॉक नेता मोहम्मद रमजान अली के पुत्र और राज्य के पूर्व मंत्री हाफिज आलम सैरानी के भतीजे अली इमरान रम्ज उर्फ विक्अर रायगंज से कांग्रेस उम्मीदवार है। कोलकाता दक्षिण से माकपा उम्मीदवार सायरा शाह हलीम बंगाल विधानसभा के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष रहे हाशिम अब्दुल हलीम की पुत्रवधू हैं। श्रीरामपुर से माकपा उम्मीदवार दिप्सिता धर तीन बार के पूर्व विधायक पद्म निधि धर की पोती है।
राजनीतिक दलों की अपनी डफली, अपना राग
माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती कहते हैं कि हमारी पार्टी राजनीति में वंशवाद के खिलाफ रही है। माकपा किसी परिवार विशेष के होने के आधार पर किसी को भी अपना उम्मीदवार नहीं बनाती है। भाजपा सांसद शमिक भट्टाचार्य कहते हैं कि भाजपा वंशवाद की राजनीति के खिलाफ मुखर रही है। तृणमूल प्रवता कुबल घोष कहते हैं कि वंशवाद को बढ़ावा नहीं, बल्कि राजनतिक परिवारों के सदस्यों की वफादारी और विश्वसनीयता को महत्व दिया जाता है।