हर एक गतिविधि पर नजर-अमेरिका
व्हाइट हाउस के राष्ट्रीय सुरक्षा संचार सलाहकार जॉन किर्बी ने कहा कि शेख हसीन के पद से हटने और देश छोड़ने से बांग्लादेश की स्थिति बहुत गंभीर हो चली है और इस चुनौती से निपटने के लिए अंतरिम सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। बांग्लादेश के सभी नेताओं के साथ अमेरिका की बातचीत में ये बात बहुत साफ रही कि धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित हो।
गिरफ्तार चिन्मय दास की जमानत याचिका पर रोक
इधर बीते शुक्रवार को चटगांव की कोर्ट ने गिरफ्तार हुए ISKCON संत चिन्मय कृष्णदास की जमानत याचिका पर रोक लगा दी है और अग्रिम सुनवाई से भी इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील और मानवाधिकार कार्यकर्ता रवींद्र घोष ने कोर्ट में याचिका पेश की और न्यायाधीश ने उनके इस आवेदन को रिकॉर्ड पर रखा लेकिन जल्द इस पर सुनवाई की परमिशन नहीं दी।
बाइडेन के खास माने जाते हैं युनूस
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रधानमंत्री और नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस (Muhammad Yunus) को जो बाइडेन-डेमोक्रेटिक पार्टी का करीबी माना जाता है। बांग्लादेश में तख्तापलट के दौरान कई अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स में ये भी दावा किया गया था मोहम्मद युनूस को अंतरिम सरकार का प्रमुख बनाने में अमेरिका का बाइडेन सरकार का हाथ भी रहा है। अमेरिका में कई सालों तक अपनी सेवाएं दे चुके मोहम्मद युनूस को अब ये डर सता रहा है कि ट्रंप के आने से कहीं बांग्लादेश में फिर से सत्ता परिवर्तन ना हो जाए और शेख हसीना को ट्रंप वापस ना ले आएं।
अब बताना पड़ा कसूरवार
मोहम्मद यूनुस जो बाइडेन के करीबी हैं लेकिन उनके बांग्लादेश के पीएम बनने के बाद हालात बद से बदतर हुए हैं, खासकर हिंदू समुदाय समेत अल्पसंख्यक समुदाय के लिए तो बांग्लादेश में अब रहना भी मुश्किल हो रहा है। भारत समेत दुनिया के कई देशों ने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को इसका जिम्मेदार ठहराया और हिंदुओं समेत अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। अंतर्राष्ट्रीय रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भी स्थिति को जांच परखकर मोहम्मद यूनुस की सरकार पर सवाल उठाते हुए बांग्लादेश के हालात संभालने को कह दिया और ये भी कह दिया कि अल्पसंख्यकों के खिलाफ कोई भी हिंसक गतिविधि होती है तो इसका जिम्मेदार यूनुस सरकार को ठहराया जाएगा।