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Reservation: नौकरशाहों के बच्चों को आरक्षण? सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये बड़ा फैसला 

Reservation: सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासनिक अफसरों के बच्चों को आरक्षण मिलने पर सरकार को कड़ी फटकार लगाई है और इस प्रथा को अब तक जारी रखने पर जवाब मांगा है।

नई दिल्लीSep 15, 2024 / 11:32 am

Jyoti Sharma

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Reservation: आरक्षण सिर्फ भारत ही नहीं उसके पड़ोसी देशों का भी ज्वलंत मुद्दा है। भारत में आरक्षण को लेकर कितनी हिंसा हुई कितनी मौतें हुई, कितनी सियासत हुई, ये किसी से भी छिपा नहीं है। वहीं आरक्षण के मुद्दे की वजह से ही बांग्लादेश (Bangladesh) में तख्तापलट हुआ, लेकिन बावजूद इसके बांग्लादेश का ये मामला अभी तक सुलझा नहीं है जिसकी वजह से अभी भी वहां पर हिंसा जारी है। वहीं अब पाकिस्तान (Pakistan) में आरक्षण का मामला गर्मा गया है। ये मुद्दा है पाकिस्तान से नौकरशाहों के बच्चों को आरक्षण देने का जिस पर पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है।

योग्यता हो आधार ना कि वंश-सुप्रीम कोर्ट

दरअसल पाकिस्तान (Reservation in Pakistan) में प्रशासनिक अफसरों के बच्चों को आरक्षण देने का विधान है। जिस पर रह-रह कर विरोध होता रहता है। अब इस सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है। बीते शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश काजी फैज ईसा ने इस प्रथा की निंदा की। उन्होंने अपने बयान में कहा कि देश में मौजूदा प्रणाली के बजाय पारदर्शी और योग्यता आधारित नियुक्ति को प्राथमिकता दी जाए ना कि इस तरह के आरक्षण सिस्टम पर। 
कोर्ट ने कहा कि कोई व्यक्ति नौकरी के लिए योग्य है, तो उसे योग्यता के आधार पर नियुक्त किया जाना चाहिए, न कि वंश के आधार पर। नौकरी के लिए मानदंडों को पूरा करने वालों को काम करने दें। नौकरशाही को अपने बच्चों के लिए नौकरियों को आरक्षित करके खुद को कायम नहीं रखना चाहिए।”

क्या नौकरशाहों के बच्चे खास हैं- सुप्रीम कोर्ट

पाकिस्तान के समाचार संगठन द नेशन ने की रिपोर्ट के मुताबिक न्यायाधीश ईसा ने कहा कि “क्या नौकरशाहों के बच्चे किसी तरह से विशेष हैं? कोई व्यक्ति नौकरी का दावा कैसे कर सकता है और यह कैसे कह सकता है कि उसकी आने वाली पीढ़ियों को भी इसका लाभ मिलना चाहिए?” 
ईसा ने खैबर-पख्तूनख्वा में लोक सेवकों से संबंधित एक अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। पाकिस्तान का सर्वोच्च न्यायालय एक वैधानिक विनियामक आदेश (SRO) के माध्यम से सरकारी नौकरियों के आवंटन से संबंधित एक मामले की समीक्षा कर रहा था।

एक अनुभाग अधिकारी देश कैसे चला सकता है?

ईसा ने पाकिस्तान में 4 सदस्यीय पीठ का नेतृत्व करते हुए सवाल किया कि इस तरह के SRO एक साधारण अनुभाग अधिकारी के जरिए कैसे जारी किए जा सकते हैं। उन्होंने इस प्रथा की निंदा करते हुए कहा, “क्या एक अनुभाग अधिकारी देश चला सकता है? एक अनुभाग अधिकारी के जारी SRO के जरिए से न तो संविधान और न ही कानून बनाए जा सकते हैं।” 
कोर्ट ने कहा कि “उस समय, नौकरशाहों ने कुछ आदेशों पर साइन करने से इनकार कर दिया था, इसलिए जियाउल हक ने ‘सक्षम प्राधिकारी’ लिखने की प्रथा शुरू की। लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह सक्षम प्राधिकारी कौन है। किसी भी आधिकारिक दस्तावेज़ का स्पष्ट आधार होना चाहिए,” 

नियुक्तियों की अधिसूचनाएं होंगी रद्द

इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने लिखित आदेश जारी किया, जिसमें दावा किया गया कि खैबर-पख्तूनख्वा सरकार की जारी की गई सभी अधिसूचनाएं जो योग्यता-आधारित नियुक्ति प्रथाओं का उल्लंघन करती हैं, उन्हें वापस ले लिया जाना चाहिए। कोर्ट के मुताबिक “प्रांतीय सरकार को ऐसे सभी SRO को रद्द करना चाहिए जो समानता और गैर-भेदभाव पर संवैधानिक प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।”

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