बढ़ रहा भूराजनीतिक तनाव
जल उपलब्धता में कमी के कारण दुनिया में न सिर्फ भूराजनीतिक तनाव के हालात पैदा हो रहे हैं, लेकिन अगर हम महिलाओं और बालिकाओं की इस कारण बदतर होती स्थिति को ध्यान में रखें बल्कि यह मानवाधिकारों के हनन का भी एक बड़ा कारण है। -ऑड्रे अजोले, यूनेस्को प्रमुख
दुनिया में 10 फीसदी पलायन जल की कमी के कारण
ल की कमी दुनिया भर में पलायन का प्रमुख कारण है और विस्थापित लोग जिन स्थानों पर बसते हैं वहां संसाधनों पर दबाव पड़ता है। रिपोर्ट में सोमालिया में एक अध्ययन का हवाला दिया गया है जिसमें विस्थापित लोगों के एक समूह के खिलाफ महिला उत्पीड़न और हिंसा में 200 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में कम से कम 10 प्रतिशत वैश्विक पलायन जल संकट से जुड़ा हुआ है। अब जबकि दुनिया में जलवायु से जुड़ी अनियमितताएं बढ़ रही हैं, इससे जुड़ा पलायन भी बढ़ना तय है।
गरीब देशों में 80 फीसदी नौकरियां जल पर निर्भर
रिपोर्ट के अनुसार, जल संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित गरीब देश हैं, जिनके लिए जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन के समुचित साधन नहीं हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि गरीब देशों में 80 फीसदी नौकरियां पानी पर निर्भर होती हैं, क्योंकि यहां रोजगार सेक्टर की निर्भरता कृषि पर होती है। जबकि विकसित देशों में रोजगार की पानी पर निर्भरता 50 फीसदी ही होती है। ऐसे में गरीब देशों में जल संकट से समूची अर्थव्यवस्था में संकट और तनाव खड़ा हो जाता है, जो कि दुनिया में अस्थिरता का कारण बनता है।
पेय जल उपलब्ध कराने की लागत 9529 अरब रुपए
दुनिया के 140 निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों को पीने योग्य जल, स्वच्छता और सफाई उपलब्धता कराने के लिए सालाना 9529 अरब रुपए की लागत आएगी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमीर देशों में जल प्रदूषण की समस्या खत्म नहीं हो जाती। यहां कृषि से निकला दूषित पानी गंभीर चुनौतियां पैदा कर रहा है
बढ़ानी होगी जल सहभागिता और सदुपयोग
– दुनिया में सिर्फ 24 देशों में हैं जल सहयोग समझौते, जबकि 153 देशों के जल संसाधन हैं साझा
– दुनिया का 60 फीसदी ताजा जल दो या अधिक देश कर रहे हैं साझा
– दुनिया भर में कृषि में उपयोग हो रहा 70 फीसदी ताजा जल
– उद्योगों में 20 फीसदी ताजा जल हो रहा इस्तेमाल