परमिट से ज्यादा आए लोग
सऊदी अरब (Saudi Arabia) की सरकार की तरफ से एक अधिकारी ने अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी को दिए इंटरव्यू में ये खुलासा किया है। उन्होंने कहा कि हम पर जो आरोप लगाए जा रहे हैं वो गलत हैं, सरकार ने नियमों के मुताबिक ही लोगों को यहां आने के परमिट जारी किए हैं और उनकी संख्या भी सीमित रखी है लेकिन बावजूद इसके भारी संख्या में यहां लोग आए। इस साल 18 लाख हज यात्रियों के मक्का आने का परमिट जारी हुआ था लेकिन उनकी लगभग 30 लाख लोग यहां पर आए जिससे हमारे 18 लाख यात्रियों के लिए किए गए इंतजाम कम पड़ गए।
एक साथ भीड़ हुई इकट्ठा
अधिकारी ने कहा कि शुरूआत की यात्रा के दिनों में सबसे ज्यादा 577 मौतें हुईं थीं। पहले दिन तब, जब लोग माउंट अराफात (Mount Arafat) पर तेज धूप में घंटों प्रार्थना के लिए इकट्ठा हुए थे और दूसरे दिन तब, जब लोग ‘शैतान को पत्थर मारने’ के लिए इकट्ठा हुए थे।इतने सारे लोगों का इतनी कड़ी गर्मी में इकट्ठा होना उनकी मौत का बड़ा कारण बना। क्योंकि रहने की जगह में कमी के चलते कई लोगों को धूप-गर्मी में इधर-उधर भटकना पड़ा, वहीं पीने के पानी के इंतजाम भी सीमित थे, जो भी मौत की एक बड़ी वजह बना। अधिकारी ने ये भी कहा कि बगैर परमिट वाले लोगों को यहां सऊदी अरब में रह रहे दलालों ने अवैध तरीके से बुलाया। उनके रहने-खाने-पीने का इंतजाम करने के वादे कर-कर के उन्हें यहां बुलाया गया। लेकिन बाद में उन्हें उनके हालात में छोड़ दिया गया क्योंकि कहीं ना कहीं उन्हें भी डर था कि अगर वो पकड़े गए तो उन्हें कड़ी सजा भुगतनी पड़ सकती है।
अब तक 1150 हज यात्रियों की मौत
बता दें कि मक्का में अब तक 1150 हज यात्री मारे जा चुके हैं। जिसमें सबसे ज्यादा मिस्र के हैं। मिस्र के 658, इंडोनेशिया के 200 से ज्यादा, भारत के 98, जॉर्डन के 100 लोग हैं। वहीं ईरान, सेनेगल, ट्यूनीशिया, पाकिस्तान, मलेशिया, सूडान और इराक के स्वायत्त कुर्दिस्तान के लोगों की भी सऊदी में मौत हो चुकी है। इसके अलावा वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट ये बता रही है कि इस यात्रा में कई अमेरिकियों की भी मौत इस हज यात्रा के दौरान हुई है। भीषण गर्मी बताया गया था मौतों का कारण
बता दें कि सऊदी अरब में जलवायु परिवर्तन से
हज यात्रा तेजी से प्रभावित हो रही है,
मक्का में पारा हर दशक 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। सऊदी राष्ट्रीय मौसम विज्ञान केंद्र ने कहा कि बीत सोमवार को
मक्का की ग्रैंड मस्जिद में तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया था। सऊदी अरब के अधिकारियों ने गर्मी से पीड़ित 2,000 से भी ज्यादा
हज यात्रियों का इलाज कराने के बारे में बताया है।