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तालिबानियों को उनके दोस्त कतर ने सुनाई खरी-खोटी, कहा- इस्लामिक देश बनकर सरकार कैसे चलाएं ये हमसे सीखो

थानी ने कहा कि तालिबान ने सत्ता में आने के बाद अफगानी महिला सेकेंडरी स्कूलों को खोलने की अनुमति नहीं दी। यह निराश करने वाला निर्णय है।
 

Oct 02, 2021 / 06:29 pm

Ashutosh Pathak

नई दिल्ली।
अमरीका और तालिबान के बीच बातचीत शुरू कराने से लेकर अहम समझौते में कतर की भूमिका अहम रही है, मगर अब खुद कतर ने अफगानिस्तान की सत्ता संभालने के बाद तालिबान के रवैए पर गहरी नाराजगी जताई है। कतर ने कहा कि लड़कियों पर तालिबान का फैसला निराश करने वाला है। इसके अलावा की और तालिबानी फैसले से भी कतर खुश नहीं है।
कतर ने कहा कि तालिबानियों के कई फैसले उन्हें काफी पीछे ले जाएंगे। कतर के विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान अल थानी ने यहां तक कह दिया कि तालिबान को कतर में देखना चाहिए कि इस्लामिक शासन कैसे चलाया जाता है।
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बता दें कि हाल ही में तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला नुरुद्दीन तुराबी ने कहा था कि अफगानिस्तान में एक बार फिर फांसी और शरीर के अंगों को काटने की सजा दी जाएगी। उसने साथ ही यह भी जोड़ा था कि संभवत: इस बार ऐसी सजाएं सार्वजनिक स्थानों पर नहीं दी जाएं। तुराबी ने यह भी कहा कि कोई हमें यह नहीं बताए कि हमारे नियम क्या होने चाहिए और क्या नहीं। हम सिर्फ इस्लाम का पालन करेंगे और कुरान के आधार पर अपना कानून बनाएंगे। तुराबी के इस ऐलान के बाद हेरात प्रांत में चार लोगों को मारकर उनके शव को बड़ी क्रूरता से के्रन के जरिए शहर के चौराहों पर लटका दिया गया।
थानी ने कहा कि तालिबान ने सत्ता में आने के बाद अफगानी महिला सेकेंडरी स्कूलों को खोलने की अनुमति नहीं दी। यह निराश करने वाला निर्णय है। उन्होंने कहा, अफगानिस्तान में तालिबान सरकार की ओर से हाल में लिए गए फैसले दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यह बहुत ही निराशाजनक है और पीछे ले जाने वाला निर्णय है।
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बीते अगस्त महीने में अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद से और उसके पहले से ही कतर पूरे मामले में बेहद खास भूमिका में रहा है। कतर ने तालिबान के आने के बाद से काबुल एयरपोर्ट से हजारों की संख्या में विदेशी नागिरकों और अफगानों को निकाला है।

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