हिन्दी अध्यापन के साथ साहित्य सृजन
प्रवासी भारतीय साहित्यकार( NRI Writer ) विनीता तिवारी लेखन के अतिरिक्त हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत, नृत्य व चित्रकला में अभिरुचि रखती हैं। हिन्दी भाषा व भारतीय संस्कृति के प्रचार प्रसार से जुड़ी वर्जीनिया, मैरीलैंड की कई संस्थाओं में उनका सक्रिय योगदान रहता है। इंडिया इंटरनेशनल स्कूल, शैंटिली, वर्जीनिया में हिन्दी का अध्यापन कार्य कर रही हैं।संभावित समाधान
उनकी रचनाओं का मूल केंद्र भाव मानवीय अनुभूति है जिसमें आप अपने व्यक्तिगत और सामाजिक अनुभवों को अपने श्रोताओं से जोड़ कर मानवीय एकता और बंधुत्व का मार्ग प्रशस्त करती हैं। उनकी रचनाओं में नारी जीवन की विकट परिस्थितियां, उसके प्रति चेतना, जागृति और इन विकट परिस्थितियों के संभावित समाधानों का भी कहीं-कहीं चित्रण मिलता है।संग्रह प्रकाशित
उनके 2 संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं और उनकी रचनाएं कई अंतरराष्ट्रीय साझा संकलनों में शामिल हैं। वे राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कवि सम्मेलनों और मुशायरों में शिरकत करती रहती हैं।विनीता तिवारी : अदब का एक नाम
- पृष्ठभूमि
- जन्म व बचपन
- आरंभिक व उच्च शिक्षा
हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत
सन 1997 में systems school of computing, Jaipur से कम्प्यूटर साइंस में डिप्लोमा प्राप्त किया। वे 1997 में अमरीका पहुंचने के बाद उनका रुझान विज्ञान और तकनीक से पूरी तरह हट कर साहित्य व कला की तरफ़ बढ़ता गया और उन्होंने अमरीका में रहते हुए हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत सीखना शुरू किया और 2020 में प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हो संगीत विशारद की उपाधि प्राप्त की।- लेखन की शुरुआत
- साहित्यिक अवदान
उनके काव्य-संग्रह “दिल से दिल तक” व ग़ज़ल-संग्रह “इत्मीनान में हूँ मैं” में अपनी रचनाओं से उनने आम इंसान की भावनाओं और संवेदनाओं को उकेरने की कोशिश की है। प्रवासी भारतीयों को लेकर प्रकाशित होने वाली तक़रीबन सभी पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं प्रकाशित होती रही हैं जिनमें हिन्दी चेतना(कनाडा), गर्भनाल, सेतु(अमरीका), विश्वा, भारत-दर्शन(न्यूज़ीलैंड), विश्वरंग, अनुभूति(शारजाह), अनन्या(अमरीका) और विश्व हिंदी साहित्य(मॉरीशस) आदि प्रमुख हैं।
कई पत्रिकाओं में प्रकाशन
इनके अतिरिक्त उनके आलेख व कविताएं नीलाम्बरा, हिन्दी कौस्तुभ, हिन्दी जगत, माही संदेश, अनहदकृति, रचना उत्सव, साहित्यसुधा, हिन्दी पू, प्रणाम पर्यटन, कालजयी और व्यंजना इत्यादि भारतीय पत्रिकाओं में भी स्थान बनाते रहे हैं। सन 1997 में अमरीका पहु्ंचने के बाद ऐच्छिक रूप से हिन्दी भाषा का अध्यापन शुरू किया, जो आज तक जारी है।- विदेश यात्राएं
- पद, पुरस्कार व सम्मान
दीगर पुरस्कार व सम्मान
हिन्दी अकादमी, मुंबई से मृदुला सिन्हा स्मृति सम्मान (2020)।विश्व हिन्दी अकादमी, मुम्बई एवं मालवा द्वारा विश्व हिन्दी सेवा सम्मान (2021)।
भारतीय संस्कृति सेवार्थ न्यास, हरिद्वार, हिन्दी राइटर्स गिल्ड कैनैडा, द यूनिवर्सिटी आव फ़ीजी और कम्युनिटी रेडियो फैडरेशन दिल्ली से विश्व साहित्य सम्मान (2021)।
गोपिओ वर्जीनिया से “Excellence in Art and Culture” Award
अनहदकृति पत्रिका में उल्लेखनीय सहभागिता के लिए मायामी, अमरीका में सम्मानित किया गया (2022)।
विश्व रंग महोत्सव, भोपाल की ओर से अमरीका के प्रतिनिधि साहित्यकार के रूप में सम्मानित किया गया (2022)।
- प्रकाशित कृतियां—
आपका आइसेक्ट पब्लिकेशन की ओर से एक काव्य संग्रह “दिल से दिल तक” 2020 में प्रकाशित हुआ।
एक ग़ज़ल-संग्रह “इत्मीनान में हूं मैं” 2023 में भावना प्रकाशन से प्रकाशित हुआ। अगली किताब जो सिर्फ़ अमरीका की पृष्ठभूमि पर दर्ज आलेखों को लेकर लिखी जा रही है, उसके निकट भविष्य में प्रकाशन की संभावना है।
साझा संकलन
आर. के. पब्लिकेशन, मुंबई से प्रकाशित “प्रवासी पंछी।”विश्व हिन्दी साहित्य संस्थान से प्रकाशित “धरा से गगन तक-2।”
सोपान प्रकाशन से प्रकाशित “सरहदों के पार सोपान।”
प्रभा श्री पब्लिकेशन से प्रकाशित “बज़्मे-मुशायरा।”
वाणी प्रकाशन से प्रकाशित “एक शेर अर्ज़ किया है।”
डा. जगदीश व्योम प्रकाशित हाइकु-संकलन- “हिन्दी हाइकु कोश” जैसे कई कविता, ग़ज़ल व हाइकु संकलनों में रचनाएं प्रकाशित हो चुकी हैं।
विनीता तिवारी की चुनिंदा रचनाएं:
सावनसावन की रिमझिम बौछार
भीग रहा मन भाव पसार
टप टप बूँदों सी थिरकूँ मैं
गाऊँ पी संग राग मल्हार नाचे मोर पपीहा बोले
फुदक फुदक मेंढक दिल खोले
कोयल कुहुक कुहुकती डोले
चहक रहा आँगन घर द्वार
फूल खिले हैं उपवन उपवन
बौराया भँवरों का तन मन
ताक रही पगडंडी बिरहन
याद करें प्रियतम का प्यार घिर घिर आए घटा घनेरी
बिजली चमक चमक ले फेरी
बन बरखा की साथी संगी
ठंडी ठंडी चली बयार सावन की रिमझिम बौछार
भीग रहा मन भाव पसार
बौराया भँवरों का तन मन
ताक रही पगडंडी बिरहन
याद करें प्रियतम का प्यार घिर घिर आए घटा घनेरी
बिजली चमक चमक ले फेरी
बन बरखा की साथी संगी
ठंडी ठंडी चली बयार सावन की रिमझिम बौछार
भीग रहा मन भाव पसार
~विनीता तिवारी
वर्जीनिया, अमरीका।
दिल की पतंग
क्यूं आज घना बदली का रंग
क्यूं ढूंढ रहा मन उनका संग लेकर उमंग लेकर तरंग
उड़ने चली दिल की पतंग आकाश समुंदर सा गहरा
है प्यार मेरा सेहरा-सेहरा
कैसे शब्दों में लिख दूं मैं
अपने जज़्बात का चेहरा
वर्जीनिया, अमरीका।
दिल की पतंग
क्यूं आज घना बदली का रंग
क्यूं ढूंढ रहा मन उनका संग लेकर उमंग लेकर तरंग
उड़ने चली दिल की पतंग आकाश समुंदर सा गहरा
है प्यार मेरा सेहरा-सेहरा
कैसे शब्दों में लिख दूं मैं
अपने जज़्बात का चेहरा
तेरे तन की ख़ुशबू से दंग
निखरा मेरा हर अंग अंग कहना जो चाहूँ कह दूं क्या?
ख़्वाबों से दुनिया लह दूं क्या?
सोलह शृंगार मेरे तन का
उनकी बांहों में ढह दूं क्या? दिल की चाहत से पूछ रहा
मस्तिष्क मेरा होकर दबंग
निखरा मेरा हर अंग अंग कहना जो चाहूँ कह दूं क्या?
ख़्वाबों से दुनिया लह दूं क्या?
सोलह शृंगार मेरे तन का
उनकी बांहों में ढह दूं क्या? दिल की चाहत से पूछ रहा
मस्तिष्क मेरा होकर दबंग
आज़ाद परिंदे उड़ने दो
धड़कन से धड़कन जुड़ने दो
सांसों को सांस सुनाई दे
इतनी ख़ामोशी बढ़ने दो है रात भरी अरमानों से
कट जाए ना बेबस अपंग लेकर उमंग लेकर तरंग
उड़ने चली दिल की पतंग।
धड़कन से धड़कन जुड़ने दो
सांसों को सांस सुनाई दे
इतनी ख़ामोशी बढ़ने दो है रात भरी अरमानों से
कट जाए ना बेबस अपंग लेकर उमंग लेकर तरंग
उड़ने चली दिल की पतंग।
विनीता तिवारी
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