3 चोरों ने चुराई वर्ल्ड फेमस तस्वीर
दरअसल 21 अगस्त सन् 1911 में पेरिस के लूव्र म्यूजियम में 3 चोर भारी कंबल की परत के भीतर म्यूजियम से कुछ लेकर जाते दिखे। लेकिन ये म्यूजियम से क्या चुरा कर ले गए इसका जवाब किसी के पास नहीं था। लेकिन जब जांच में इसका खुलासा तो हर किसी के होश उड़ गए। दरअसल इन चोरों ने वर्ल्ड फेमस पेंटर लियोनार्डो द विंची की मोनालिसा पेंटिंग (Mona Lisa) को चुराया था। चोरी हो जाने के बाद ये तस्वीर 2 साल बाद मिली और तभी ये पता चला कि आखिर चोरों ने इस तस्वीर को चोरी क्यों किय़ा था।क्यों बनाई विंची ने ये तस्वीर
बता दें कि लियोनार्डो द विंची एक ऑल राउंडर शख्सियत थे वो पेंटर के अलावा ड्राफ्ट्समैन, इंजीनियर, वैज्ञानिक, सिद्धांतकार, मूर्तिकार और वास्तुकार भी थे। लियोनार्डो द विंची ने मोनालिसा को इटली के रईस फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो के लिए बनाना शुरू किया। लेखक और इतिहासकार जेम्स सुग के मुताबिक ये उनकी पत्नी लिसा डेल जियोकोंडो थीं। माना जाता है कि इस पेंटिंग को फ्रांसेस्को डेल जियोकोंडो ने अपने नए घर के लिए और अपने दूसरे बेटे के जन्म से पहले बनवाया था। लेकिन फिर ये उनके हाथ नहीं लगी ये संग्रहालय यानी म्यूजियम में टांग दी गई थी। विंची के निधन बाद ये फ्रांस के राजा के पास रही और 1797 से ये लूव्र संग्रहालय में शामिल की गई। हैरानी की बात ये है कि दशकों तक आलोचकों ने तक इस तस्वीर को इतनी अहमियत नहीं थी जितनी ये उसकी हकदार थी। लेकिन 21 अगस्त ही वो तारीख थी जिसने मोनालिसा को उसका मुकाम दिला दिया। इतिहासकार सुग ( विदेशी पत्रिका में छपे लेख) के मुताबिक तब तक मोनालिसा गैलरी की प्रसिद्ध पेंटिंग भी नहीं थी।
म्यूजियम के कर्मी ने ही चुराई तस्वीर
डोरोथी और टॉम हूबलर ने अपनी किताब, द क्राइम्स ऑफ पेरिस (2009) में पेंटिंग की चोरी के बारे में लिखा। वे कहते हैं कि 28 घंटे बीत गए, जब तक किसी को भी चार खाली हुक नज़र नहीं आए। जिस व्यक्ति ने देखा वह एक ज़िद्दी स्टिल-लाइफ़ कलाकार था। पेंटर को गैलरी का हिस्सा रंगना था। टॉम हूबलर कहते हैं, “उसे लगा कि जब तक ‘मोनालिसा’ नहीं होगी, वह काम नहीं कर सकता।” उसने गार्ड्स को ऊपर की गैलरी में भेजा। जब वह लौटे तो बताया दीवार तो खाली पड़ी है। जब पेंटिंग की चोरी का हंगामा बरपा। तब अखबारों के आर्टिकल में इसे मास्टरपीस का खिताब मिला। लिखा गया कि अब तक के इतिहास की सबसे बड़ी चोरी। एक हफ्ते तक संग्रहालय बंद रहा। खुला तो लोग उस खाली हुक को निहारने के लिए टूट पड़े।
क्यों हुई चोरी
पहले चोरी का शक पाब्लो पिकासो पर गया। खूब पूछताछ हुई लेकिन फिर उन्हें छोड़ दिया गया। दरअसल चोरी में म्यूजियम में ही फ्रेम गढ़ने वाले शख्स का हाथ था। नाम था विन्सेन्जो पेरुगिया। जो चोरी के एक दिन पहले अपना काम खत्म करने के बाद बाहर नहीं आया बल्कि अपने दो अन्य साथियों (दोनों भाई थे-विन्सेन्ज़ो और मिशेल लैंसेलोटी ) संग आर्ट गैलरी की एक अलमारी में जाकर छिप गया। सारी रात वहीं रहने के बाद सुबह साथियों संग इस वारदात को अंजाम दिया। 28 महीने बाद पकड़े जाने पर विन्सेन्ज़ो पेरुगिया ने कहा कि मकसद सिर्फ एक था इसके असली मालिक के सुपुर्द करना। उसके मुताबिक ये इटली की धरोहर थी और उसके पास ही रहनी चाहिए थी। इस तरह चोरी हुई मोनालिसा लियोनार्डो द विंची की बेस्ट कलाकृति साबित हुई। मास्टरपीस जिसकी मिसाल पूरी दुनिया देती है।