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World Theater Day Special: भारत में रंगमंच की दुनिया को सजीव होते देखना चाहता है विदेश में रह रहा यह रंगकर्मी

Latest NRI News in Hindi : भारत के बाहर आत्मीयता से भरा भारत है। भारतीय प्रतिभाओं की रश्मियां विश्व में अपनी आभा बिखेर रही हैं। तकरीबन 28 सालों से यूरोप में कार्यरत सुर्खियों में रहने वाले ऐसे ही प्रवासी भारतीय फनकार शख्सियत का नाम है कपिलकुमार ( Kapilkumar)। वे एक्टर और लेखक हैं। वल्र्ड थिएटर डे (World Theatre Day ) पर पेश है उनसे बातचीत सीधे बेल्जियम से :
 
 

Mar 27, 2024 / 11:55 pm

M I Zahir

World Theater Day News : वल्र्ड थिएटर डे पर रंगकर्मी और राइटर कपिलकुमार ( Kaplikumar) ने सीधे बेल्जियम (Belgium) से बातचीत में कहा कि रंगमंच की दुनिया अजीब दुनिया है, जहां हमें ख़ुद को भूल कर किसी और किरदार को जीना पड़ता है और वही दुनिया के सामने हकीकत बना कर दिखाना पड़ता है। इसी हकीकत में न जाने कितने सितारे खो जाते हैं,यह हकीकत है।

उन्होंने कहा, मेरा मानना है कि हिन्दुस्तान में रंगमंच की दुनिया को सजीव करने की कोशिश करने की बहुत जरूरत है,क्योंकि बगैर फाइनेंशियल सपोर्ट के यह होना मुश्किल है,इसके लिए रंगमंच के उन कलाकारों का आगे आना जरूरी है, जो रंगमंच से बॉलीवुड में पहुंचे हैं और शिखर पर हैं, क्योंकि उनकी कामयाबी में रंगमंच की अहम भूमिका है. उसका कर्ज उन्हें चुकाना चाहिए।

हिन्दुस्तान में रंगमंच की दुनिया अलग
उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में रंगमंच की दुनिया अलग है। मैंने भी हिन्दुस्तान में बहुत से नाटकों में भाग लिया और अपनी जेब से पैसा खर्च कर, यहाँ तक कि अपने किरदार के कपड़े और श्रंगार का खर्चा भी उठाया। ज्यादातर रंगकर्मी करते हैं, क्योंकि हिन्दुस्तान में ज्यादातर जगह कोई टिकट खरीद कर नाटक नहीं देखता। सवाल यह है कि किसी रंगकर्मी , नाटक के डायरेक्टर और टेक्निकल टीम को पैसा कहाँ से मिले? यही हकीकत है हिन्दुस्तान के रंगमंच की।

यूरोप इससे बिल्कुल उलट
कपिलकुमार ने कहा कि यूरोप इससे बिल्कुल उलट है। यूरोप में हर रंगमंच के छोटे बड़े सभी कलाकार, जितने घंटे काम करते हैं, उन्हें उतना ही पैसा मिलता है। यहाँ तक कि उनका बीमा भी होता है, ताकि अगर कुछ हादसा हो जाए तो उसकी भरपाई हो सके। एक अहम बात यह है कि यूरोप में नाटकों के मंचन बिल्कुल प्रोफेशनल तरीके से होते हैं।

मेरा रंगकर्म रामलीला से शुरू हुआ
कपिलकुमार ने बताया,मेरा रंगकर्म रामलीला से शुरू हुआ। मैं हमेशा रामलीला की रिहर्सल देखने जाता था और बड़े गौर से देखता था, यह शायद डायरेक्टर ने भी देखा और जब एक दिन लक्ष्मण जी का किरदार अदा करने वाले शख्स ने अपनी असली सूरत दिखलाई, शायद पी कर आय़ा था, बस डायरेक्टर साहब ने इन्हें बाहर का रास्ता दिखाया, मगर कल की रामलीला कैसे होगी वो चिंता में कुछ देर डूब गए। तब उन्होंने मुझ पर नज़र डाली और कहा कि लक्ष्मण मिल गया और कहा कि तुम कल लक्ष्मण का रोल करोगे. मैंने कहा कि सर मुझे अभिनय का कोई भी तजुर्बा नहीं है? उन्होंने कहा, कोई बात नहीं यही से शुरुआत करो,बस दूसरे दिन मेरे अभिनय पर तालियां बज रही थीं।
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