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विदेश

इज़राइल के खिलाफ ईरान ने बुलंद की आवाज़, इस्लामी देशों से ऐसे मांगी मदद

Iran-Israel: ईरान ने हाल ही में इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की असाधारण बैठक का आह्वान किया है। इस बैठक में ईरान के कानूनी और अंतरराष्ट्रीय मामलों के उप विदेश मंत्री काज़ेम गरीबाबादी ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला।

नई दिल्लीSep 28, 2024 / 05:13 pm

M I Zahir

iran voices in OIC against israel

Iran-Israel: ईरान के कानूनी और अंतरराष्ट्रीय मामलों के उप विदेश मंत्री काज़ेम ग़रीबाबादी (Kazem Garibabadi) ने ओआईसी (OIC) के विदेश मंत्रियों की वार्षिक बैठक को संबोधित करते हुए फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों के समर्थन में इस्लामी देशों के बीच एकता और एकजुटता के महत्व पर जोर दिया (Iran Vs Israel)। उन्होंने कहा, इस्लामिक दुनिया एक नाजुक मोड़ पर है और कई महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना कर रही है, खासकर फिलिस्तीन मुद्दा (Palestine Issue), जो हमारी मुख्य प्राथमिकता बना हुआ है।

इस्लामिक उम्मा के प्रयासों का समर्थन किया

ग़रीबाबादी ने कहा कि ओआईसी के संस्थापक सदस्यों में से एक के रूप में, ईरान ने हमेशा मुख्य चुनौतियों से निपटने और फिलिस्तीनी मुद्दे पर विशेष ध्यान देने के लिए इस्लामिक उम्मा (israel arab world relations) के प्रयासों का समर्थन किया है। उन्होंने फिलिस्तीन के हित के लिए ईरान के अटूट समर्थन और पवित्र अल-कुद्स को अपनी राजधानी और संयुक्त राष्ट्र में इसकी पूर्ण सदस्यता के साथ सभी कब्जे वाले क्षेत्रों में एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के गठन के माध्यम से फिलिस्तीनी लोगों के अविभाज्य अधिकारों की प्राप्ति के लिए भी व्यक्त किया।

मुस्लिम, ईसाई और यहूदी एक साथ अमन और शांति से रहेंगे

ग़रीबाबादी ने दोहराया कि सभी फ़िलिस्तीनी लोगों, जो अपनी मातृभूमि में रह रहे हैं और जो अपनी मातृभूमि से दूर हैं, उन्हें जनमत संग्रह के माध्यम से अपना भविष्य तय करना चाहिए। उन्होंने आशा व्यक्त की कि इस तंत्र के माध्यम से, एक स्थायी शांति प्राप्त होगी जिसमें मुस्लिम, ईसाई और यहूदी एक साथ अमन और शांति से रहेंगे। उन्होंने कहा कि इज़राइली शासन की आतंकवादी गतिविधियां फिलिस्तीन और लेबनान तक ही सीमित नहीं हैं, उन्होंने हाल ही में ईरान की राजनयिक सुविधाओं पर आतंकवादी हमला किया (Iran-Israel Conflict) है और ईरान में हमास के नेता को भी शहीद कर दिया है। इस तथ्य पर जोर देते हुए कि इज़राइली शासन क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है, उन्होंने इसकी क्रूरता और अपराधों को समाप्त करने का आह्वान किया।

ईरान का योगदान

एकता और सहयोग: गरीबाबादी ने इस्लामिक दुनिया की वर्तमान नाजुक स्थिति पर जोर दिया और कहा कि फिलिस्तीनी मुद्दा सभी मुस्लिम देशों के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने ईरान के ओआईसी के संस्थापक सदस्य होने के नाते, हमेशा इस्लामिक उम्मा के प्रयासों का समर्थन करने का आश्वासन दिया।फिलिस्तीनी अधिकार: उन्होंने यह भी कहा कि ईरान फिलिस्तीनी लोगों के अटूट समर्थन के लिए प्रतिबद्ध है और अल-कुद्स को उनकी राजधानी मानता है। इसके साथ ही, उन्होंने सभी कब्जे वाले क्षेत्रों में एक स्वतंत्र फिलिस्तीनी राज्य के गठन की आवश्यकता पर बल दिया।
जनमत संग्रह: गरीबाबादी ने यह बात भी कही कि सभी फ़िलिस्तीनी लोगों को, चाहे वे अपनी मातृभूमि में हों या बाहर, अपने भविष्य का निर्धारण करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने जनमत संग्रह की प्रक्रिया के माध्यम से स्थायी शांति की उम्मीद जताई, जिसमें मुस्लिम, ईसाई और यहूदी सभी एक साथ रह सकें।

इज़राइली गतिविधियों पर टिप्पणी

गरीबाबादी ने इज़राइल की आतंकवादी गतिविधियों को भी उजागर किया, यह बताते हुए कि यह केवल फिलिस्तीन और लेबनान तक सीमित नहीं है। उन्होंने हाल ही में ईरान की राजनयिक सुविधाओं पर हुए हमले और हमास के एक नेता की हत्या का भी उल्लेख किया। बहरहाल ईरान ने ओआईसी की इस बैठक के माध्यम से फिलिस्तीनी मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय ध्यान केंद्रित करने का प्रयास किया है, और इस्लामिक दुनिया की एकता को बढ़ावा देने के लिए एक ठोस मंच तैयार किया है।
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