व्यापार और राजनीति को अलग रखें
सालेहुद्दीन ने यह भी स्पष्ट किया कि अगर भारत निर्यात (export) रोकता है, तो बांग्लादेश अन्य विकल्पों की ओर रुख करेगा। उनका मानना है कि व्यापार और राजनीति को अलग रखना चाहिए। भारत में कुछ नेताओं द्वारा बांग्लादेश से निर्यात रोकने की मांग की गई थी, लेकिन बांग्लादेश ने इसे व्यापारिक दृष्टिकोण से अप्रासंगिक बताया। उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश का उद्देश्य आपूर्ति श्रृंखला में किसी भी प्रकार की रुकावट से बचना है और बाजार में आवश्यक वस्तुओं की कोई कमी नहीं होने दी जाएगी।इसका व्यापारिक संबंधों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा
भारत से निर्यात में गिरावट के बाद बांग्लादेश ने म्यांमार और अन्य देशों से वैकल्पिक आपूर्तिकर्ताओं से बातचीत शुरू कर दी है। हालांकि, व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि यह राजनीतिक बयानबाजी है और इसका व्यापारिक संबंधों पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। भारत और बांग्लादेश के व्यापार का स्थायित्व दोनों देशों के लिए दीर्घकालिक और पारस्परिक लाभों पर निर्भर करता है। अगर भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार संबंधों को बाधित किया जाता है, तो दोनों देशों को आर्थिक नुकसान होगा, क्योंकि भारत से आपूर्ति का त्वरित तरीका बांग्लादेश के लिए अन्य देशों से महंगा और धीमा हो सकता है।भारत बांग्लादेश को निर्यात करता है कई उत्पाद :
निर्यात होने वाली खाद्य सामग्री: चाय,चावल (विशेषकर बांग्लादेश में खाद्य सुरक्षा के लिए),गेहूं और चीनी। मशीनरी और उपकरण निर्माण और औद्योगिक उपकरण, बिजली और इलेक्ट्रॉनिक सामान।कपड़े और वस्त्र: कपड़ा (विशेषकर बांग्लादेश के वस्त्र उद्योग के लिए कच्चा माल), भारत बांग्लादेश को अन्य विभिन्न उपभोक्ता वस्त्र, निर्माण सामग्री, प्लास्टिक उत्पाद और रासायनिक उत्पाद भी निर्यात करता है।