जर्मनी ने अपने बयान से लिया यू-टर्न
बीते शनिवार को भारत के विदेश मंत्रालय (Ministry of External Affairs) ने जर्मन राजनयिक को तलब किया था और भारत के आंतरिक मामलों में दखलअंदाजी करने के लिए लताड़ लगाई थी। जर्मनी की इस टिप्पणी (Germany on Arvind Kejriwal Case) को भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारतीय न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप और भारतीय न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कमजोर करने के रूप में देखा था। भारत ने जो आईना जर्मनी को दिखाया था उसका नतीजा ये हुआ कि जर्मनी ने अब इस मामले में कोई भी किसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है। जर्मनी ने कल दिल्ली में तलब के बारे में कोई भी जानकारी साझा करने से भी इनकार कर दिया है। जर्मनी के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भारत के किसी मामले में टिप्पणी या फिर कोई सीक्रेट बातचीत की रिपोर्ट नहीं दी जाएगी।
जर्मनी की सिर्फ द्विपक्षीय सहयोग में रुचि
जर्मन प्रवक्ता ने कहा कि (Germany on Arvind Kejriwal Case) “जर्मनी और भारत, दोनों पक्षों के सहयोग को और मजबूत करने में ही रुचि है। भारतीय संविधान बुनियादी मानव अधिकारों और स्वतंत्रता की गारंटी देता है। हम एक रणनीतिक भागीदार के रूप में भारत के साथ इन लोकतांत्रिक मूल्यों को साझा करते हैं।”
अमरीका और जर्मनी दोनों को भारत ने दिखाया आईना
दूसरी तरफ जानकारों का कहना है कि भारत के इन तीखे तेवरों से अमरीका, जर्मनी, कनाडा समेत तमाम देशों को एक सबक मिला है जो बेमतलब भारत के आंतरिक मामलों में जबरन दखलअंदाजी कर रहे हैं और भारत की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं।
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