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विदेश

Heavy Rain: भारी बारिश से 1300 से ज्यादा स्कूल ढहे, 38 मासूमों की मौत, रेड अलर्ट जारी

Heavy Rain: यूनिसेफ की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारी बारिश के चलते बाढ़ से 230,000 बच्चे प्रभावित हो रहे हैं, वो कई दिनों से स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।

नई दिल्लीSep 14, 2024 / 08:56 am

Jyoti Sharma

Heavy Rain in pakistan

Heavy Rain: भारत समेत एशियाई देशों में भारी बारिश और बाढ़ ने हाहाकार मचाया हुआ है। सबसे बुरे हालात पाकिस्तान के हो रहे हैं, वहां पर आम जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट में अब खुलासा हुआ है कि पाकिस्तान (Pakistan) में बाढ़ से सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ा है। दरअसल अकेले स‍िंध प्रांत में स्कूल बंद होने से 230,000 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं। बाढ़ के कारण 1,300 से अधिक स्कूल क्षतिग्रस्त हो गए हैं और 228 पूरी तरह नष्ट हो गए हैं। इससे लाखों बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए हैं।

140,000 बच्चों ने किया विस्थापन

सिंध के शिक्षा विभाग के ताजा आंकड़ों से पता चलता है कि बाढ़ के पानी के कारण 450 से अधिक स्कूल बंद हैं। इससे बच्चों की पढ़ाई पर प्रभाव पड़ रहा है। बाढ़ के कारण 10 आपदा प्रभावित जिलों में 140,000 बच्चे और परिवार विस्थापित हो गए हैं। इससे संकट और बढ़ गया है।

ढाई लाख बच्चे घर बैठने को मजबूर

पाकिस्तान में यूनिसेफ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फादिल ने बाढ़ के कारण बच्चों की शिक्षा पर पड़ने वाले दीर्घकालिक प्रभाव के बारे में गहरी चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “गर्मी से लेकर बाढ़ तक, जलवायु परिवर्तन के कारण बच्चे बार-बार पढ़ाई से वंचित हो रहे हैं। पाकिस्तान में पहले से ही 26.2 मिलियन बच्चे श‍िक्षा से वंच‍ित हैं और अब यह ताजा संकट असहनशील है।”

38 बच्चों की मौत

बाढ़ ने पूरे प्रांत में 76 लोगों की जान ले ली है, इनमें से 38 सिर्फ बच्चे हैं। यूनिसेफ ने कहा कि उसकी टीमें बच्‍चों को श‍िक्षा प्रदान करने की हर संभव कोशि‍श कर रही हैं। यूनिसेफ के जलवायु जोखिम सूचकांक (सीसीआरआई) में पाकिस्तान 163 देशों में 14वें स्थान पर है, जहां बच्चे जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय झटकों के प्रभावों के ‘बेहद उच्च जोखिम’ में हैं। देश अभूतपूर्व जलवायु संकट का सामना कर रहा है। यहां विनाशकारी बाढ़ और गर्म हवाएं आम हो चुकी हैं। 

पाकिस्तान में बढ़ी चिंता

फादिल ने कहा, “हमें इस जलवायु-संवेदनशील देश में बच्चों के लिए स्थायी समाधान खोजने की आवश्यकता है। हमें बच्चों के लिए शिक्षा और सेवाओं में निवेश करने की आवश्यकता है। हम उन्हें शिक्षा और उनके भविष्य के अधिकार को खोते हुए नहीं देख सकते।”
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