हमास, हूती विद्रोहियों समेत 3 गुटों की सीक्रेट मीटिंग
न्यूज वेबसाइट द टाइम्स ऑफ इजरायल की रिपोर्ट के मुताबिक हमास के नेताओं ने और फिलिस्तीन की आजादी के लिए मार्क्सवादी पॉपुलर फ्रंट ने हूती विद्रोहियों के (Hamas Houthi Rebel Meeting) नेताओं के साथ बीते सप्ताह एक अहम और गुप्त मीटिंग की है। हालांकि उनके सूत्रों ने ये नहीं बताया है कि ये बैठक कहां हुई लेकिन एक अहम जानकारी सामने आई है कि इन नेताओं ने गाजा में इजरायल के नरसंहार के बदले में इजरायल के एक्शन लेने के लिए (Hamas Attack on Israel) एक सीक्रेट और खतरनाक प्लान बनाया है।
राफा में अपना गढ़ बचाने को तिलमिला रहा हमास (Hamas)
दरअसल इजरायल गाज़ा के राफा (Rafah) शहर में लगातार हमले कर हमास के आतंकियों को निशाना बना रहा है। ऐसे में हमास अब तिलमिला गया है और हूती विद्रोहियों (Houthi Rebel) के साथ मिलकर अब इजरायल को जवाब देना चाहता है। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट बताती है कि गाजा के राफा शहर में ही हमास का गढ़ है और वो अब आखिरी माना जा रहा है जिस तरह से इजरायल दावा कर रहा है। ऐसे में हमास अपना गढ़ बचाने के लिए हूती विद्रोहियों का साथ लेगा।
क्या 7 अक्टूबर जैसा होगा हमला?
हमास और हूती विद्रोहियों की इस मीटिंग से अब ये अंदेशा लगाया जा रहा है कि हमास इजरायल पर 7 अक्टूबर जैसा या उससे भी भयानक हमला (Hamas Attack on Israel) कर सकता है। बता दें कि 7 अक्टूबर 2023 को हमास के इजरायल पर किए अचानक हमले में 2000 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
लाल सागर पर जहाजों पर हमले जारी रखेंगे हूती विद्रोही
वहीं हूती विद्रोहियों ने इस बात की भी पुष्टि की है कि वो फिलिस्तीनियों के समर्थन में लाल सागर शिपिंग पर अपने हमले जारी रखेंगे यानी वो लाल सागर (Red Sea) से आने-जाने वाले पश्चिमी देशों के जहाजों को निशाना बनाते रहेंगे। बता दें कि हूती विद्रोही इजरायल के समर्थन वाले देशों के जहाज हाईजैक कर रहे हैं। वो कह चुके हैं कि गाजा पर इजरायल (Israel-Hamas War) के युद्ध को खत्म करने के लिए दबाव बनाने के लिए वो इजरायल, अमेरिका, ब्रिटेन के जहाजों को लगातार निशाना बना रहे हैं। हूती विद्रोही यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) के स्वामित्व वाले जहाज रूबीमार को भी हाईजैक कर चुके हैं जो कुछ दिन पहले ही समंदर में डूब गया था।
कौन हैं हूती विद्रोही?
हूती यमन (Yemen) के शिया जैदी समुदाय से जुड़े हुए हैं। यमन में ये समूह अल्पसंख्यकों में गिना जाता है। 1990 में तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल्लाह सालेह पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए इस समूह का गठन हुआ था। हुसैन अल हूती ने इसकी स्थापना की थी, इसलिए इस समूह को हूती कहा जाता है। हूती विद्रोही अमेरिका और इजरायल को अपना दुश्मन मानते हैं। इस समूह को ईरान से समर्थन मिला हुआ है, इधर हूती भी हिज्बुल्लाह (Hezbollah) और हमास जैसे आतंकी संगठनों का समर्थन करता है। यमन में साल 2014 में हूती राजनैतिक तौर पर काफी मजबूत हो गए थे और अब ये बार-बार इजरायल और इसके समर्थक देशों के जहाजों को बार-बार निशाना बना रहे हैं।