क्या है पूरा मामला?
पापुआ न्यू गिनी में ये हिंसा बीते महीने अगस्त में शुरू हुई थी जब यहां के सबसे बड़े सोने के भंडार में से एक, पोरगेरा घाटी में अवैध खनन का विरोध इन आदिवासी लोगों ने किया था, जिसके बाद अवैध खनन करने वाले आरोपियों ने स्थानीय आदिवासी ज़मींदार को मार-पीट कर घायल कर दिया था। पुलिस कमांडर जोसेफ टोंडोप के दिए बयान के मुताबिक दोनों पक्षों में शांति वार्ता कराई गई लेकिन वो विफल रही, और ये झड़प एक भीषण जनजातीय लड़ाई में बदल गई। बीते शनिवार की रात को इसी मामले में एक गुट ने दूसरे गुट पर हमला कर दिया था। जिसमें कई लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच जमकर गोलीबारी हुई। पुलिस के मुताबिक कल ही कल हिंसा के दौरान 300 गोलियां चलीं।
पुलिस ने कहा कि इस हमले में मारे जाने वाले लोगों में सिर्फ पुरुष ही शामिल हैं, वहीं सैकड़ों महिलाएं और बच्चे घर छोड़कर सुरक्षित इलाकों की तरफ चले गए। बता दें कि इस हिंसा में कई लोगों के घर जला दिए गए।
पुलिस का कहना है कि ये हालात अवैध खननकर्ताओं और अवैध निवासियों के चलते हुई है जो पारंपरिक भूमि मालिकों को परेशान कर रहे है और स्थानीय समुदायों को आतंकित करने के लिए हिंसा कर रहे हैं। ये लोग इन भूमि मालिकों की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं।
अब हालात ये हैं कि यहां पर शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और रात भर का कर्फ्यू लगा हुआ है। बता दें कि पापुआ न्यू गिनी के ऊंचे इलाकों में जनजातीय संघर्ष अक्सर होते रहते हैं, लेकिन स्वचालित हथियारों की आमद ने झड़पों को और घातक बना दिया है। वहीं इस लड़ाई का कारण बताते हुए पुलिस ने कहा है कि इस हिंसा ज्यादा मौतें इस वजह से हुई है क्योंकि वो यहां पर लोगों ने सार्वजनिक तौर पर हाथ में हथियार उठा लिए थे, यहां पर इस तरह से हथियार लेने का मतलब होता है कि उसे सीधे गोली मार दी जाए।