हालांकि, इससे पहले फ्रांस की सरकार ने ब्रिटेन को धमकी दी थी कि अगर ब्रेग्जिट के बाद विवाद का समाधान नहीं हुआ तो अगले सप्ताह से ब्रिटिश जहाजों को कुछ बंदरगाहों पर आने से रोक दिया जाएगा।
यही नहीं, फ्रांस ने यहां तक कहा कि राष्ट्रपति इमेनुएल मैक्रों का प्रशासन चैनल द्वीप समूह को ऊर्जा आपूर्ति को प्रतिबंधित कर सकता है। वहीं, ब्रिटेन ने कहा कि खतरे अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुकूल नहीं लगते हैं और अगर फ्रांस पीछे नहीं हटता है तो उसके खिलाफ भी उचित और जवाबी कार्रवाई की जाएगी।
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नए साल की शुरुआत में जब से ब्रिटेन यूरोपीय संघ से अलग हुआ तब से लंदन और पेरिस के बीच संबंध तेजी से खराब हो गए हैं। फ्रांस पिछले महीने ब्रिटेन और जर्सी के एक फैसले से नाराज हो गया था। इसमें उन्होंने अपने जल क्षेत्र में मछली पकड़ने के लिए फ्रांसीसी नौकाओं के दर्जनों लाइसेंस को अस्वीकार कर दिया था। इसके पीछे यह तर्क दिया गया था कि यह ब्रेग्जिट समझौता का उल्लंघन करता है। विशेषज्ञों की मानें तो फ्रांस और ब्रिटेन के इस विवाद का खामियाजा न सिर्फ फ्रांस और ब्रिटेन बल्कि, यूरोप समेत पूरी दुनिया को भुगतना पड़ सकता है। विशेषज्ञों के मुताबिक इस विवाद का असर वैश्विक कारोबार पर भी होगा। ऐसे में दोनों देशों को मिलकर अपने मुद्दे शांति पूर्वक सुलझा लेने चाहिए।
जर्सी फ्रांसीसी तट से केवल 14 मील दूर है। मगर यह पूरी तरह से ब्रिटेन पर निर्भर है। इसके जल क्षेत्र में मछली पकड़ने की अनुमति किसे मिलेगी इसका फैसला खुद जर्सी करता है। वह यूके-ईयू व्यापार समझौते की व्याख्या के आधार पर लाइसेंस देता है। उधर, जर्सी ने भी फ्रांस पर असमान रूप से कार्य करने का आरोप लगाया है।
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फ्रांसीसी सरकार के प्रवक्ता गेब्रियल अट्टल ने कहा कि कई हफ्तों की बातचीत के बाद ब्रिटिश अधिकारियों ने अधिक मछली पकड़ने के लाइसेंस जारी किए हैं, लेकिन फ्रांस के हिसाब से यह अब भी केवल 50 प्रतिशत है। उन्होंने कहा कि यदि लाइसेंस पर समझौता मंगलवार तक नहीं होता है, तो वह कुछ बंदरगाहों से ब्रिटिश नौकाओं को रोक देगा। इसके साथ ही फ्रांस और ब्रिटेन के बीच यात्रा करने वाले जहाजों पर जांच कड़ी कर देगा।