Deepfake को रोकने में कैसे काम करेगा ये कानून
नामक विधेयक Deepfake से निपटने के अलावा कंटेंट क्रिएटर, पत्रकारों, कलाकारों और संगीतकारों की उन शिकायतों पर भी ध्यान देता है कि AI बिना स्वीकृति या उचित मुआवजा दिए उनके काम से लाभ उठा रहा है। कॉपीड एक्ट में एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसके तहत कंटेंट के स्रोत का खुलासा करना जरूरी होगा। इसमें मूल जानकारी के साथ छेड़छाड़ को अवैध बनाने के प्रावधान भी शामिल हैं। इसके अलावा यह एक्ट वॉटरमार्क हटाने या एआइ कंपनियों पर मुकदमा चलाने का रास्ता देगा।
दूसरे देश क्या कर रहे हैं?
यूरोपीय संघ (ईयू) के पास एआइ को विनियमित करने के लिए सबसे व्यापक कानून हैं। ईयू के एआइ एक्ट के तहत यूरोपीय देशों को प्रत्येक एआइ सिस्टम को चार श्रेणियों में बांटना जरूरी है- अस्वीकार्य जोखिम, उच्च जोखिम, सीमित जोखिम और न्यूनतम जोखिम वाली एआइ। चीन में प्रत्येक नागरिक को सोशल स्कोर देने के लिए उपयोग की जाने वाली एआइ प्रणालियों को अस्वीकार्य जोखिम स्तर के रूप में पहचाना गया है तथा एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया गया है।
भारत में क्या व्यवस्था?
भारत में, हालांकि अभी तक कोई विशिष्ट एआइ विनियामक कानून नहीं बनाया गया है। मार्च में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देश में ‘अंडर-टेस्टेड’ लेबल किए गए एआइ सिस्टम को तैनात करने से पहले सरकारी मंजूरी लेने का आदेश दिया गया था। बाद में एआइ नवाचार पर पड़ने वाले असर को लेकर सावधानी बरतते हुए पुराने निर्देश को एक अन्य निर्देश द्वारा रद्द कर दिया गया।