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Deepfake से निपटेगा ये कानून, जानिए किस तरह कंटेंट क्रिएटर्स को मिलेगा फायदा 

ये कानून डिजिटल कंटेट क्रिएटर्स, पत्रकारों, कलाकारों और संगीतकारों की समस्याओं को ध्यान में रख कर बनाया गया है। अमित पुरोहित की इस रिपोर्ट में जानते हैं कि ये एक्ट क्या है और कैसे काम करेगा।

नई दिल्लीJul 19, 2024 / 12:25 pm

Jyoti Sharma

Deepfake Case Of Rashmika Mandanna

Deepfake Protection Act : AI के इस ज़माने में अब अपराध भी अव्वल दर्जे के हो गए हैं। इस तकनीक से लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधा और एडवांस टेक्निक देने का जो उद्देश्य था उसे पीछे छोड़ते हुए अब इसका इस्तेमाल अपराधों में हो रहा है, डीपफेक (Deepfake) उन्हीं में से एक है। जिसका शिकार आम से लेकर खास लोग हो रहे हैं लेकिन अब इस समस्या से निपटने के लिए एक नया कानून बनाया जा रहा है। इस कानून से उम्मीद जताई जा रही है कि डिपफेक से निपटने में काफी मदद मिलेगी और ये कंटेंट क्रिएटर्स के लिए काफी फायदेमंद होगा। दरअसल अमेरिका ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI डीपफेक से निपटने और मूल कंटेंट को बचाने के लिए एक विधेयक पेश किया है। इसका नाम कंटेंट ओरिजिन प्रोटेक्शन एंड इंटीग्रिटी एक्ट (COPIED Act) है।

Deepfake को रोकने में कैसे काम करेगा ये कानून

नामक विधेयक Deepfake से निपटने के अलावा कंटेंट क्रिएटर, पत्रकारों, कलाकारों और संगीतकारों की उन शिकायतों पर भी ध्यान देता है कि AI बिना स्वीकृति या उचित मुआवजा दिए उनके काम से लाभ उठा रहा है। कॉपीड एक्ट में एक ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसके तहत कंटेंट के स्रोत का खुलासा करना जरूरी होगा। इसमें मूल जानकारी के साथ छेड़छाड़ को अवैध बनाने के प्रावधान भी शामिल हैं। इसके अलावा यह एक्ट वॉटरमार्क हटाने या एआइ कंपनियों पर मुकदमा चलाने का रास्ता देगा।

दूसरे देश क्या कर रहे हैं?

यूरोपीय संघ (ईयू) के पास एआइ को विनियमित करने के लिए सबसे व्यापक कानून हैं। ईयू के एआइ एक्ट के तहत यूरोपीय देशों को प्रत्येक एआइ सिस्टम को चार श्रेणियों में बांटना जरूरी है- अस्वीकार्य जोखिम, उच्च जोखिम, सीमित जोखिम और न्यूनतम जोखिम वाली एआइ। चीन में प्रत्येक नागरिक को सोशल स्कोर देने के लिए उपयोग की जाने वाली एआइ प्रणालियों को अस्वीकार्य जोखिम स्तर के रूप में पहचाना गया है तथा एक्ट के तहत प्रतिबंधित किया गया है।

भारत में क्या व्यवस्था?

भारत में, हालांकि अभी तक कोई विशिष्ट एआइ विनियामक कानून नहीं बनाया गया है। मार्च में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देश में ‘अंडर-टेस्टेड’ लेबल किए गए एआइ सिस्टम को तैनात करने से पहले सरकारी मंजूरी लेने का आदेश दिया गया था। बाद में एआइ नवाचार पर पड़ने वाले असर को लेकर सावधानी बरतते हुए पुराने निर्देश को एक अन्य निर्देश द्वारा रद्द कर दिया गया।
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