संयुक्त राष्ट्र की डराने वाली रिपोर्ट
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2020 तक 2.3 अरब लोग यानी दुनिया की करीब 30% आबादी सूखे इलाकों में रहती थी। कार्बन उत्सर्जन पर नियंत्रण नहीं किया गया तो 2100 तक यह आबादी दोगुनी हो जाएगी। सोमवार को संयुक्त राष्ट्र मरुस्थलीकरण रोधी सम्मेलन में पेश रिपोर्ट के अनुसार, सदी के मध्य तक पृथ्वी की दो-तिहाई भूमि पर कम पानी होगा। सऊदी अरब में आयोजित यह वैश्विक सम्मेलन 13 दिसंबर तक चलेगा।
क्या है ड्राई लैंड
ड्राईलैंड वो क्षेत्र होते हैं, जहां बारिश का अधिकांश पानी वाष्पीकृत हो जाता है और सिर्फ 10% पानी ही पौधों के लिए बचता है।शोधकर्ताओं के मुताबिक 1990 से 2015 के बीच अफ्रीका में बढ़ती शुष्कता के कारण वहां की जीडीपी में 12% की कमी आई है। खासतौर पर, मक्का जैसी फसलें ज्यादा प्रभावित हुई हैं। इससे केन्या में 2050 तक मक्का की पैदावार आधी रह जाने का अनुमान है। शोधकर्ताओं के अनुसार, अगले पांच वर्षों में, अफ्रीका की जीडीपी में 16त्न की कमी होने की आशंका है, जबकि एशिया में लगभग 7त्न की कमी देखी जाएगी।
धरती पर जीवन बदल रहा है
संयुक्त राष्ट्र मरूस्थलीकरण रोधी सम्मेलन के कार्यकारी सचिव इब्राहिम थियाव के मुताबिक सूखा एक अस्थायी स्थिति है, जिसमें कुछ समय के लिए बारिश कम हो जाती है, लेकिन इससे उलट शुष्कता ऐसी स्थायी स्थिति है, जिसमें बारिश बहुत कम होती है और यह स्थिति लंबे समय तक रहती है। सूखा खत्म हो जाता है, लेकिन कोई जगह शुष्क हो जाने के बाद, वापस पहले जैसी नहीं हो पाती है। इस बदलाव से धरती पर जीवन का तरीका बदल रहा है।