मंच हाउस दुनिया का एकमात्र ऐसा कॉफी हाउस है जहां दो दशक से सालों पुरानी कॉफी को ताजा सर्व की किया जाता है। कैफे के मालिक तनाका का मानना है कि वो एक समय आइस कॉफी बेचा करते थे। इसलिए वो कॉफी को ठंडा करने के लिये उसे फ्रिज में रखते थे ताकि उसे जल्दी तैयार किया जा सकेत। लेकिन एक बार कॉफी के कुछ पैकेट्स वो फ्रिज में रखकर भूल गए। जो डेढ़ साल तक वैसे ही रखे रहे। जब तनाका की नजर उस पर पड़ी तो उन्होंने फेंकने की जगह उसकी कॉफी तैयार की। तनाका देखना चाहते थे कि कॉफी के स्वाद में कितना अंतर आया है।
तनाका बताते है, ‘जब मैंने इस डेढ़ साल पुरानी कॉफी को ग्राइंड किया और उसे बनाया तो मुझे इसमें एक अलग सा बदलाव देखने को मिला। क्योंकि कॉफी अभी भी पीने लायक थी। इसमें एक अलग सी खुशबू थी और अलग ही तरह का स्वाद था। मैंने तय किया कि अब मैं कॉफी को सालों तक स्टोर करके रखूंगा और एक नए स्वाद की कॉफी अपने ग्राहकों को पिलाऊंगा।’
अब तनाका ने कॉफी को लंबे समय तक स्टोर करने के लिए लकड़ी के छोटे-छोटे बैरल बनाये है। जहां पर कई सालों से रखी कॉफी को देखा जा सकता है। क्योकि उन्होनें जब कॉफी को 10 साल तक रखा तो उसका स्वाद एक सीरप की तरह था। इसके बाद तनाका ने 20 साल तक स्टोर किया तो पाया स्वाद अल्कोहल जैसा हो गया है। जो ग्राहकों को काफी पसंद आया।
कॉफी को बनाने का तरीका
तनाका कॉफी के बीज को पीसकर उसे कपड़े की छलनी में डालते है। इसके बाद इस पर गर्म पानी डाला जाता है।
इस तकनीक से कॉफी की पहली बूंद को गिरने में 30 मिनट लग जाते हैं। लेकिन इसके बाद जो कॉफी का स्वाद आता वो शायद वो जुबान पर स्वाद छोड़ने में सफल हो जाता है।
इस तकनीक से कॉफी की कड़वाहट भी दूर होती है। फिर इस तरल को लकड़ी के बैरल में स्टोर करने के लिए रख दिया जाता है।
2 दशक बाद कॉफी को बैरल में लगे नलों के जरिए निकाला जाता है। इसका स्वाद चॉकलेटी और कुछ हद तक शराब जैसा भी होता है।
यह आम आदमी के लिए काफी महंगी है। लेकिन जो लोग केवल स्वाद के लिए पैसे खर्च कर सकते हैं उन्हें यह बेहद पसंद आती है।