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अजब गजब

इस छोटे से पत्थर में मौजुद है चमत्कारिक गुण, विदेशों में भी बढ़ रही है इसकी मांग

राजस्थान के जैसलमेर में एक ऐसा पत्थर पाया जाता है जिसे दूध में डालने मात्र से ही दही जम जाती है।

May 21, 2018 / 02:16 pm

Arijita Sen

Hapur stone

इस छोटे से पत्थर में मौजुद है चमत्कारिक गुण, विदेशों में भी बढ़ रही है इसकी मांग

हमारी दुनिया में अजीबोगरीब चीजों की कोई कमी नहीं है। इनमें से कुछ चीजों की वैज्ञानिक पुष्टि हो चुकी है लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी है जिनका आज तक कोई वैज्ञानिक व्याख्या नहीं मिल सका है।

आज हम आपको एक ऐसी चीज के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके बारे में जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे। दही हम सबको पसंद है। सेहत के लिए भी दही काफी लाभदायक है।

गर्मी के मौसम में तो दही हर घर की जरूरत बन जाती है। सेहत के साथ-साथ त्वचा के लिए भी दही बहुत उपयोगी है। लगभग हम सभी के घर में दही जमाई जाती है।

हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद दुकान जैसी दही घर में नहीं जम पाती है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्हें दही जमाने की प्रक्रिया के बारे में अच्छे से पता नहीं होता है। ऐसी स्थिति में हम यही सोचते हैं कि काश कोई ऐसी प्रक्रिया या चीज होती जिससे कि ये काम और भी आसान बन जाता।

Hapur stone

आपको बता दें कि राजस्थान के जैसलमेर में एक ऐसा पत्थर पाया जाता है जिसे दूध में डालने मात्र से ही दही जम जाती है। जी, हां जैसलमेर से करीब 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हाबुर गांव में ये पत्थ्र पाई जाती है। इस पत्थर को स्वर्णगिरि के नाम से जाना जाता है। स्वर्णगिरी पत्थर का उपयोग खुबसूरत बर्तनों को बनाने में भी किया जाता है। इसकी उपयोगिता के चलते देश-विदेश से लोग इसे खरीदकर ले जाते हैं। जामन न होने की स्थिति में इस पत्थर को दूध में डालकर आसानी से दही जमाया जा सकता है।

Hapur stone

दूध में इस पत्थ्र को डालने के 14 घंटे के बाद दूध, दही में बदल जाता है। कुछ लोग इसे चमत्कार मानते हैं। लेकिन विज्ञान इसकी अलग परिभाषा देते हुए कहता है कि इसमें बायो केमिकल अमीनो एसिड, फिनायल एलीनिया और रिफ्टोफेन टायरोसीन मौजुद है जो दूध को दही में तब्दील करने की क्षमता रखता है। ऐसा कहा जाता है कि हजारों साल पहले ये जगह समंदर से घिरी हुई थी। धीरे-धीरे समुद्र के सूख जाने की वजह से यहां उपस्थित समुद्री जीव जीवाश्व में बदल गए। इसके बाद यहां पहाड़ों का निर्माण होने लगा। इसके बाद पत्थरों से खनिजों का निर्माण भी शुरू होने लगा।

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