एक तरफ पूरा देश असत्य पर सत्य की विजय के लिए रावण दहन करता है तो वहीं भाटखेड़ी वासी रावण और कुंभकरण को इष्ट देव मानकर उनकी पूजा करते हैं।
भाटखेड़ी गांव में करीब 150 साल पुरानी रावण और कुंभकरण की मूर्तियां भी स्थापित हैं। इन दोनों मूर्तियों को ग्रामवासी इष्टदेव मानते हैं।
मान्यता के अनुसार, इनकी पूजा से कभी भी विपत्ति नहीं आती। ग्रामीणों की माने तो रावण और कुंभकरण उनके गांव की रक्षा करते हैं।
गांव पर कोई विपदा आए या बारिश न हो तो ग्रामीण इकट्ठे होकर रावण देवता से प्रार्थना करते हैं। जिस दिन पूजा होती है उसी दिन बारिश होने लगती है।
इस गांव को रावण वाली भाटखेड़ी के नाम से भी जिलेभर में जाना जाता है।