शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी के प्राकट्योत्सव के रूप में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन धन के देवी मां लच्मी समुद्र मंथन से उत्पन्न हुई थीं।
इसके साथ ही द्वापर युग में भगवान कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की धवल चांदनी में महारास किया था और इससे प्रसन्न होकर चंद्रमा ने अमृत वर्षा की थी।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करते हैं।
यही वजह है कि शरद पूर्णिमा की चांदनी रात में खीर रखने से उसमें अमृत घुल जाता है। मां लक्ष्मी को भी मखाने और दूध से बनी खीर बेहद प्रिय है।