आकाशदीप वह दीया होता है, जिसे दीपावली पर बांस के सहारे ऊंचाई पर जलाया जाता है।
जब बिजली नहीं थी, लोग अंधेरे से निजात पाने दीए या कंडील जलाते थे। दीयों में तेल डालकर बाती लगाई जाती थी।
कंडील लोहे का होता था, जिसमें मिट्टी का तेल भरा जाता था। इसके ऊपर कांच होता था, जिससे हवा दीप को बुझा न सके।
बिजली आने के बाद कंडील जलाने की परंपरा लुप्त हो गई, लेकिन कार्तिक माह में आकाशदीप जलाने का यह अद्भुत परंपरा आज भी जीवित है।