देवउठनी एकादशी के व्रत को विधिपूर्वक रखना चाहिए।
देवउठनी एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि में करना चाहिए।
देवउठनी एकादशी व्रत पारण के बाद मंदिर या गरीबों में अन्न, धन और कपड़ों का दान करें।
भगवान विष्णु को फल और मिठाई का भोग लगाना चाहिए।
भोग थाली में तुलसी दल को जरूर शामिल करना चाहिए।
ऐसी मान्यता है कि बिना तुलसी पत्ते के श्रीहरि भोग स्वीकार नहीं करते हैं।
देवउठनी एकादशी के दिन कीर्तन करना चाहिए।
जल्दी उठकर मन से भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और तुलसी पूजा करनी चाहिए।
सुबह की पूजा-अर्चना करने के बाद दिन में नहीं सोना चाहिए।