'थर्ड बटरफ्लाई सर्वे' के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले कॉलेज के 298 स्टूडेंट्स में से सिलेक्टेड 30 स्टूडेंट्स ने अपनी भागीदारी दी।
3 घंटे चले सर्वे में 4 टीमों ने कैंपस में सर्वे कर 40 तरह की तितलियां देखीं। इसमें सायकी, कॉमन जीजेबल, कॉमन रोज, टेल्ड जे, ब्लू टाइगर, पीकॉक पेंसी, ग्रे पैंसी आदि की पहचान कर उनकी गणना की गई।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुरेश टी. सिलावट ने स्टूडेंट्स की उत्साहवर्धक भागीदारी पर खुशी जताते हुए कहा- भविष्य में आप जैसे युवाओं पर पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की जिम्मेदारी होगी।
सर्वे के समापन कार्यक्रम में वन विभाग की और से श्री संदीप गौतम एसडीओ अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने विद्यार्थियों को नेचर में पाए जाने वाले जीव-जंतुओं के महत्व के बारे में बताया।
विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ प्रीति चतुर्वेदी ने विद्यार्थियों की सक्रिय भागीदारी की सराहना करते हुए उन्हें पर्यावरण संरक्षण में अपनी भागीदारी देने के लिए सक्रिय रहने का मंत्र दिया।
सर्वे की शुरुवात में सर्वे के संयोजक प्रो. धर्मेन्द्र जाट ने सभी स्टूडेंट्स को सर्वे की रूपरेखा एवम उद्देश्य के बारे में बताया।
इसके उपरांत वाइल्ड वारियर्स संस्था के रितेश खाबिया, स्वप्निल फणसे, अंजली भास्कर और कुणाल वर्मा के नेतृत्व में सभी स्टूडेंट्स ने सर्वे किया।
सर्वे में पहली बार शामिल होने वाली स्टूडेंट दीक्षा सोनी ने बताया कि आज का दिन मेरे लिए बेहद महत्वपूर्ण रहा। हमें तितलियों के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी मिली, जैसे- तितली का जीवन चक्र, तितली की उपयोगिता, तितली के पंखों पर बनी आंख जैसी आकृति, जो तितली को बचाने का काम करती है आदि।