डायबिटीज को लेकर लोगों के मन कई धारणाएं बनी हुई है और कई मिथक है। आइए जानते हैं उन मिथकों का सच
लोगों के मन में धारणा है कि मधमेह के रोगियों को फल नहीं खाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं है फल एक स्वस्थ विकल्प है और सब्जियों के साथ-साथ इसे स्वस्थ संतुलित आहार का एक बड़ा हिस्सा बनाना चाहिए।
मधुमेह में चीनी को लेकर एक मिथक बना हुआ कि यह बहुत ज्यादा चीनी खाने से होता है। लेकिन टाइप 1 डायबिटीज की बात कि जाए तो
टाइप 1 डायबिटीज़ आहार या जीवनशैली के कारण उत्पन्न नहीं होती। यह तब होती है जब अग्नाशय की इंसुलिन उत्पन्न करने वाली कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा नष्ट हो जाती हैं।
लोगों के मन में यह भी धारणा है कि इससे पूरी तरह छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन यह मिथक है प्रतिदिन व्यायाम करने से शरीर की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता बढ़ती है और A1C स्तर कम होता है।
लोगों को डायबिटीज में इंसुलिन लेने को कहा जाता है लेकिन यह एक मिथक है लेकिन टाइप 2 डायबिटीज को एक्सरसाइज, दवाओं आदि से ठीक किया जा सकता है।
डिसक्लेमरः इस लेख में दी गई जानकारी का उद्देश्य केवल रोगों और स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के प्रति जागरूकता लाना है। यह किसी क्वालीफाइड मेडिकल ऑपिनियन का विकल्प नहीं है। इसलिए पाठकों को सलाह दी जाती है कि वह कोई भी दवा, उपचार या नुस्खे को अपनी मर्जी से ना आजमाएं बल्कि इस बारे में उस चिकित्सा पैथी से संबंधित एक्सपर्ट या डॉक्टर की सलाह जरूर ले लें।