नवरात्रि में माता रानी के धरती पर आगमन में शुभ मुहूर्त का जो महत्व होता है, वही महत्व उनकी सवारी का भी होता है। इसका ज्योतिषीय संकेत भी होता है।
जिस दिन नवरात्रि शुरु होता है, उसी दिन के अनुसार माता की सवारी तय मानी जाती है। इस बार माता दुर्गा की सवारी पालकी है तो आइये जानते हैं इसका क्या होगा परिणाम...
हस्त नक्षत्र में गुरुवार 3 अक्टूबर को नवरात्रि शुरू हो रही है और समापन 12 अक्टूबर शुक्रवार को हो रहा है। कलश स्थापना पहले दिन सुबह 7.16 से 8.42 बजे और अभिजित मुहूर्त में 11.52 से दोपहर 12.39 बजे होगी।
इस कारण नवरात्रि में मां के आने की सवारी पालकी और प्रस्थान करने की सवारी चरणायुध यानी मुर्गा है। ज्योतिषियों की मानें तो मां की सवारी पालकी मनुष्यों के लिए अशुभ और कष्ट का कारण है।
इसके कारण देश दुनिया में आर्थिक संकट, प्राकृतिक आपदा आ सकती है। साथ ही यह व्यापार में मंदी, महामारी आने का संकेत होता है। मुर्गे पर प्रस्थान भी तबाही का संकेत होता है।
वैसे तो नवरात्रि साल में 4 बार आती है। लेकिन इसमें अश्विन महीने के नवरात्रि यानी शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है।
क्योंकि इसी समय नौ दिन के युद्ध के बाद दसवें दिन मां दुर्गा ने महिषासुर और भगवान राम ने रावण का वध किया था।इसी से दुर्गा पूजा उत्सव में क्रम से मां दुर्गा के नौ स्वरूप मां शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।