यूपी और एमपी से लेकर तमिल नाडु तक राम वन गमन पथ लोक का भी निर्माण कार्य चल रहा है।
चित्रकूट (सतना)- यहां भरत ने भगवान राम से अयोध्या लौटने का अनुरोध किया था। यहां वह शरभंग मुनि के आश्रम भी पधारे थे।
ओरछा (टीकमगढ़) - मान्यता है कि श्री राम बक्स्वाहा जंगल से निकले थे। ओरछा को दूसरा आयोध्या भी कहा जाता है।
अमरकंटक (अनूपपुर) - मान्यता है कि नर्मदा नदी के उद्गम स्थल में प्रभु श्री राम ने नर्मदा माता की पूजा की थी।
राम घाट (उज्जैन) - माना जाता है कि श्री राम अपने पिता दशरथ के अंतिम संस्कार के लिए यहां आए थे।
मगरमुंहा गांव (जबलपुर) - मान्यता है कि पिपरिया में स्थित मागरमुंहा गांव के पास से बहती नर्मदा नदी को पार कर दंडकारण्य की तरफ गए थे।
लखबरिया धाम (शहडोल) - स्थानीय मान्यताओं की मानी जाए तो श्री राम शहडोल के लखबरिया धाम आए थे।
सलेहा गांव (पन्ना) - वाल्मीकि रामायण में श्री राम के ऋषि अगस्तमुनि से उनके आश्रम आकर मिले थे जो की पन्ना में है।
बेतवा नदी क्षेत्र (विदिशा) - महर्षि च्यवन से मिलने के लिए श्री राम बेतवा नदी के तट के पास स्थित उनके आश्रम आए थे। यहां उन्होंने एक स्नान किया था।