जिसके चलते आरपीएफ टीआई मनीष पांडे ने एसआई एसके गौतम, एएसआई संजय शुक्ला, एसके शुक्ला सहित अन्य पुलिसकर्मियों की टीम गठित की। टीम के कुछ सदस्य सिविल में और कुछ डे्रस में बुधवार की शाम सांची से सलामतपुर तक पटरी की जांच करने पैदल पहुंचे, तो रात करीब 12 से एक के बीच में आमखेड़ा निवासी गुड्डा, किशोरीलाल, फदलू, खेमचंद और राजेश सर्वजाति आदिवासी को कुंदा निकालते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार कर थाना लाए। टीआई पांडे ने बताया कि उनके खिलाफ रेलवे सम्पत्ति अवैध कब्जा अधिनियम के तहत कार्रवाई कर उन्हें गुरुवार को भोपाल कोर्ट भेजा गया। जहां उन्हें अधिकतम तीन साल की सजा और अर्थ दंड की सजा होगी।
कुंदों से बनाते थे छैनी
पकड़े गए सभी आरोपी पत्थर खदानों में काम करते हैं। इन कुंदों को लेजाकर इन्हें गलाकर इनसे छैनी बनाने का काम यह आरोपी करते थे। जिनसे पत्थर जल्दी कटता है और यह छैनी मजबूत भी बहुत रहती है। वहीं इन कुंदों को बेचने का काम भी आरोपी करते थे।
पकड़े गए सभी आरोपी पत्थर खदानों में काम करते हैं। इन कुंदों को लेजाकर इन्हें गलाकर इनसे छैनी बनाने का काम यह आरोपी करते थे। जिनसे पत्थर जल्दी कटता है और यह छैनी मजबूत भी बहुत रहती है। वहीं इन कुंदों को बेचने का काम भी आरोपी करते थे।
ऐसे करते थे चोरी
आरपीएफ के अनुसार आरोपी एक आरोपी चार से पांच स्लीपर छोड़कर एक कुंदें निकालते थे। जिससे एकदम से कुंदे निकलने की जानकारी नहीं लग सके। जांच के दौरान कुछ-कुछ दूरी पर कुंदे पड़े मिले।
आरपीएफ के अनुसार आरोपी एक आरोपी चार से पांच स्लीपर छोड़कर एक कुंदें निकालते थे। जिससे एकदम से कुंदे निकलने की जानकारी नहीं लग सके। जांच के दौरान कुछ-कुछ दूरी पर कुंदे पड़े मिले।
हो सकता था बड़ा हादसा
स्लीपर और पटरी को जोडऩे वाले कुंदे अधिक मात्रा में निकल जाने पर पटरी स्लीपर से अलग हो जाती तो ऐसे में पटरी से ट्रेन निकलने पर बड़ा हादसा हो सकता था। लेकिन समय रहते आरपीएफ की सूझबूझ से आरोपी पुलिस गिरफ्त में आ गए।