उद्घाटन के मौके पर केंद्र की व्यवसाय प्रबंधक सोनल शुक्ला ने बताया कि इसके अंतर्गत नवोन्मेष संबंधी नई परियोजनाओं के लिये छात्रों एवं किसानों को 2 महीनें का प्रशिक्षण दिया जाता है और प्रतिभागियों को 10 हजार रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। नए अनवेषों के विकास के लिए 5 लाख तक का अनुदान प्रदान किया जाता है। इसके दूसरे चरण में चयनित अभ्यर्थियों को उनके नवोन्मेषों के व्यवहारिक उपयोग के रुप में विकसित करने तथा अपना स्टार्ट-अप शुरू करने के लिये 25 लाख तक की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।
संस्थान के निदेशक प्रो रमेश चंद ने बताया कि इस केंद्र के माध्यम से किए जाने वाले नवोन्मेषों से किसानों की समस्याओं के समाधान के साथ ही उनकी आय बढ़ाने के नए अवसर प्रदान किए जाएंगे। यह केंद्र विशेष रुप से कृषि एवं प्रोद्योगिकी के छात्रों को साथ काम करने का मंच प्रदान करेगा।
संकाय प्रमुख प्रो एपी सिंह ने कहा कि बीएचयू का प्रोद्योगिकी संस्थान एवं कृषि विज्ञान संस्थान के साथ मिलकर काम करने से महामना के विचारों तथा विश्वविद्यालय के उद्देश्यों को सामान्य मानव विशेष रुप से किसानों की जीवन यापन को सुदृढ़ करने में विशेष योगदान होगा।