नेहा ने बताया कि सामान्य दिनों में खेल प्रतियोगिताओं से मिलने वाले पुरस्कार, पिता अजय कुमार और भाइयों की मजदूरी से घर का और उसका खर्च चलता था। मगर कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते खेल गतिविधियों पर ब्रेक लग गया। साथ ही पिता और भाइयों का काम भी छिन गया। दो जून की रोटी के लिए परिचितों की मदद से ठेले का इंतजाम कर सब्जी बेचना शुरू कर दिया। नेहा ने बताया कि एक दिन में औसतन 200 रुपये तक की कमाई हो जाती है।
गोपी बेच रहा फल अंडर-16 और अंडर-21 टीम से 2016 से लेकर 2019 तक कई नैशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेने वाला हॉकी खिलाड़ी गोपी सोनकर लॉकडाउन में छूट मिलने पर पांडेयपुर एरिया में अपने पिता की दुकान पर सुबह से शाम तक फल बेचते हैं। महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के छात्र गोपी का कहना है कि शैक्षणिक के साथ ही संपूर्णानंद स्पोर्ट्स स्टेडियम पर ताला लगा होने से खेल गतिविधियां बंद हैं। परिवार के सामने आर्थिक तंगी के दौर में खाली बैठे रहने से अच्छा समझा कि दुकान पर बैठूं। पहली बार ऐसा करते झिझक महसूस हुई, लेकिन परिवार चलाने की जिम्मेदारी के आगे सब कुछ करना पड़ता है।