वाराणसी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महाविजय के बाद सोमवार 27 मई को आ रहे हैं वाराणसी। वह तीन घंटे रहेंगे अपने संसदीय क्षेत्र में। मोदी गांधी नगर में मां हीरा बेन का आशीर्वाद ग्रहण करने के बाद सीधे वाराणसी आएंगे। यहां सुबह 8.55 बजे बजे पहुंचेंगे और सीधे श्री काशी विश्वनाथ मंदिर जाएंगे। बाबा का दर्शन-पूजन करने के बाद वह काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव का दर्शन करने भी जा सकते हैं। करेंगे। इसके बाद वह बड़ा लालपुर स्थित ट्रेड फेसिलिटी सेंटर पहुंचेगे जहां वाराणसी और पूर्वांचल के भाजपा कार्यकर्ता उनका भव्य स्वागत करेंगे। यहीं व कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए काशी और काशी की जनता के प्रति आभार जताएंगे। मोदी एक बजे वाराणसी से दिल्ली के लिए उड़ान भरेंगे।
बता दें कि यह पहला मौका है जब वाराणसी से किसी प्रधानमंत्री ने चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। वह भी रिकार्ड जीत। ऐसे में काशीवासी और भाजपा कार्यकर्ता भी अपने जनप्रतिनिधि के स्वागत की तैयारी में 23 मई से ही जुटे हैं। हालांकि इस बार नरेंद्र मोदी का घोषित रोड शो नहीं होना है फिर भी संभावना जताई जा रही है कि काशी विश्वनाथ से कालभैरव और कालभैरव से ट्रेड फेसिलिटी सेंटर तक अघोषित रोड शो हो सकता है। इसके लिए भाजपा की ओर से ठीक उसी तरह से स्वाग की तैयारी की जा रही है जैसे नामांकन के दौरान 23 अप्रैल को की गई थी। बताया जा रहा है कि इस बार भी 15-20 क्विंटल गुलाब की पंखुड़ियां उन पर बरसाई जाएं। इसके लिए फूल मंडियों को आर्डर दे दिया गया है। केवल गुलाब की पंखुड़ियां ही नहीं कई खूबसूरत बड़ी माला भी तैयार कराई जा रही है।
भारतीय जनता पार्टी के काशी प्रांत के मीडिया प्रभारी नवरतन राठी ने पत्रिका को बताया कि नरेंद्र मोदी का ट्रेड फेसिलिटी सेंटर में भव्य स्वागत की तैयारी की जा रही है। इसमें बनारस के अलावा पूर्वांचल के भी कार्यकर्ता भाग लेंगे। साथ ही वाराणसी के लोग उन सभी रास्तों पर फूलों की बारिश करने की तैयारी में हैं जिधर से वह गुजरेंगे। जगह-जगह परंपरागत रूप से डमरू भी बजेगा।
बता दें कि 2014 में भी बनारस से जीत हासिल करने के बाद शपथ ग्रहण से पहले नरेंद्र मोदी वाराणसी आए थे जनता का आभार जताने। तब बीएचयू सिंह द्वार पर स्थित महामना मदन मोहन मालवीय की प्रतिमा पर माल्यार्पण से शुरू हुआ था उनका रोड शो। वह उस वक्त काशी विश्वनाथ का दर्शन करने के बाद पहुंचे थे दशाश्वमेध घाट, घाट की पस्तर की मणि पर विराजे मोदी ने गंगा आरती देखी थी। गंगा पूजन किया था और फिर वहीं मणि से ही काशी की जनता के प्रति आभार जताया था। लेकिन इस बार वह गंगा आरती में नहीं जा रहे हैं। कोई घोषित रोड शो भी नहीं है।
2014 में बीएचयू सिंह द्वार से किया था रोड शो 2014 में बीएचयू से गोदौलिया तक के मोदी के रोड शो को देख ऐसा लगा था मानों पूरी काशी उमड़ आई हो उनके स्वागत को। उसी वक्त हर-हर मोदी, घर-घर मोदी का नारा भी प्रचलित हुआ था। कदम-कदम पर भावी प्रधानमंत्री का पुष्पवर्षा से स्वागत किया गया था। मोदी ने भी सभी के प्यार को सप्रेम स्वीकार किया था। वो काशी की जनता और उनके जनप्रतिनिधि के बीच यह मोहब्बत का सिलसिला पांच साल तक बदस्तूर जारी रहा।
नरेंद्र मोदी के 05 साल के तोहफे विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के साथ आगमन -नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद कुल 20 बार वाराणसी का दौरा किया। इस बार 17वीं लोकसभा के लिए हुए चुनाव में नामांकन से पहले आखिरी बार वह काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का शिलान्यास करने अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे थे। पीएम वाराणसी में जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर के अलावा कई दिग्गजों को अपने संसदीय क्षेत्र का दीदार करा चुके हैं। इस बार कुंभ मेले से पहले प्रवासी भारतीय दिवस भी काशी में ही मनाया गया था।
-2014 में पीएम मोदी ने यह कहा था- वाराणसी को स्वच्छ बनाना है और अस्सी घाट पर एक शुरूआत की थी. 2015 में पीएम मोदी ने रिंग रोड फेज-1 की आधारशिला रखी और सिर्फ 3 साल के भीतर उन्होंने शहर को दो महत्वपूर्ण इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट सौंप दिए।
-12 दिसंबर 2015- जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे भारत दौरे पर आए तो मोदी उन्हें काशी लेकर आए। मोदी ने शिंजो आबे के साथ काशी के प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट पर भव्य गंगा आरती में हिस्सा भी लिया।
-मार्च 2018- मोदी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को लेकर वाराणसी पहुंचे। इस मौके पर मिर्जापुर में सोलर प्लांट और गंगा में सैर के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने डीएलडब्ल्यू में कई प्रोजेक्ट्स की शुरुआत की। जर्मनी के राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर भारत दौरे पर आए तो प्रधानमंत्री मोदी उन्हें भी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी लेकर गए।
-68 वां जन्म दिवस वाराणसी में प्रधानमंत्री मोदी ने अपना 68 वां जन्म दिवस वाराणसी में मनाया वह भी बच्चों के साथ। जन्मदिन के अवसर पर मोदी ने काशी की जनता के सामने अपना रिपोर्ट कार्ड पेश किया। कहा था, आपने भले ही मुझे प्रधानमंत्री का दायित्व दिया है, लेकिन यह मेरा दायित्व है कि मैं एमपी के नाते अपने किए हुए काम का लेखा जोखा प्रस्तुत करूं. आप ही मेरे हाई कमांड हैं। आप ही मेरे स्वामी हैं। मैं आपका सेवक हूं, इसलिए मुझे एक-एक पैसे और एक एक मिनट का हिसाब देना है। कोई भी प्रधानमंत्री इस तरह अपने संसदीय क्षेत्र के लिए काम नहीं किया होगा।
-पूर्वांचल का बिजनेस हब बन रहा काशी
2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अब तक वाराणसी के लिए करीब 315 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं हैं, जिनमें से लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। रोड से लेकर ट्रीटमेंट प्लांट, नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर ट्रांसपोर्ट फैसिलीटीज तक जापान के सहयोग से बन रहे कनवेंशन सेंटर से लेकर सिटी कमांड के जरिए ट्रैफिक मैनेजमेंट तक, अंडरग्राउंड केबलिंग से लेकर कार्गो सेंटर तक, किसी मेगा सिटी का कनसेप्ट देता है तो वहीं साफ सुथरे बनारस के चकाचक घाट, उन पर लगे हेरिटेज लाइट, गलियों और चैड़ाहों की साफ सफाई, दीवारों की पेंटिंग और काशी के स्वामी बाबा विश्वनाथ मंदिर के आस-पास गलियारे का निर्माण और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भवनों का कायाकल्प बनारस की जरूरत और शोहरत दोनों को पूरा करता है.
2014 में केंद्र में मोदी सरकार बनने के बाद अब तक वाराणसी के लिए करीब 315 परियोजनाएं स्वीकृत हुईं हैं, जिनमें से लगभग 279 परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। रोड से लेकर ट्रीटमेंट प्लांट, नेक्स्ट जेनरेशन इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर ट्रांसपोर्ट फैसिलीटीज तक जापान के सहयोग से बन रहे कनवेंशन सेंटर से लेकर सिटी कमांड के जरिए ट्रैफिक मैनेजमेंट तक, अंडरग्राउंड केबलिंग से लेकर कार्गो सेंटर तक, किसी मेगा सिटी का कनसेप्ट देता है तो वहीं साफ सुथरे बनारस के चकाचक घाट, उन पर लगे हेरिटेज लाइट, गलियों और चैड़ाहों की साफ सफाई, दीवारों की पेंटिंग और काशी के स्वामी बाबा विश्वनाथ मंदिर के आस-पास गलियारे का निर्माण और सांस्कृतिक आयोजनों के लिए भवनों का कायाकल्प बनारस की जरूरत और शोहरत दोनों को पूरा करता है.
-बाबतपुर- वाराणसी हाईवे
17.6 किलोमीटर लंबे इस हाइवे को आज गेटवे ऑफ़ बनारस कहा जा रहा है. बनारस के किसी भी क्षेत्र से बाबतपुर हवाई अड्डे तक पहुंचने का यह मार्ग ब्रांड बनारस की पहचान बन गया है. इस हाईवे के बनने से विदेशी मेहमानों की आवक पहले से काफी बढ़ गई है.
17.6 किलोमीटर लंबे इस हाइवे को आज गेटवे ऑफ़ बनारस कहा जा रहा है. बनारस के किसी भी क्षेत्र से बाबतपुर हवाई अड्डे तक पहुंचने का यह मार्ग ब्रांड बनारस की पहचान बन गया है. इस हाईवे के बनने से विदेशी मेहमानों की आवक पहले से काफी बढ़ गई है.
-मल्टी मॉडल टर्मिनल
गंगा में जल परिवहन के जरिये बनारस से हल्दिया तक माहवाहक जहाज भेजने के लिए रामनगर में बने मल्टी मॉडल टर्मिनल का शुरू किया गया। नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया तो उन्होंने कहा था- काशी नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनने जा रही है।
गंगा में जल परिवहन के जरिये बनारस से हल्दिया तक माहवाहक जहाज भेजने के लिए रामनगर में बने मल्टी मॉडल टर्मिनल का शुरू किया गया। नवंबर 2018 में प्रधानमंत्री ने इसका उद्घाटन किया तो उन्होंने कहा था- काशी नेचर, कल्चर और एडवेंचर का संगम बनने जा रही है।
-विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर
प्रधानमंत्री मोदी ने काशी के विकास में एक नया अध्याय बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर बनाने की शुरूआत के साथ जोड़ दिया है. कोरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है.. इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग गलियों का चैड़ीकरण का काम भी चल रहा है. प्रधानमंत्री खुद विस्तारीकरण व सुंदरीकरण के कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने काशी के विकास में एक नया अध्याय बाबा विश्वनाथ मंदिर कोरिडोर बनाने की शुरूआत के साथ जोड़ दिया है. कोरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है.. इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग गलियों का चैड़ीकरण का काम भी चल रहा है. प्रधानमंत्री खुद विस्तारीकरण व सुंदरीकरण के कार्यों का निरीक्षण कर रहे हैं।
मणिकर्णिका घाट को देश के 11 प्राचीन धरोहरों में शामिल करने की तैयारी
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से देश के 11 प्राचीन धरोहरों में मणिकर्णिका घाट भी जुड़ने जा रहा है। काशी के अन्य प्राचीन मंदिरों को भी संरक्षित किया जा रहा है। दो पुराने पुस्तकालयों को भी संवारने का काम किया जा रहा है।. इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा रहा है, जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
-प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास से देश के 11 प्राचीन धरोहरों में मणिकर्णिका घाट भी जुड़ने जा रहा है। काशी के अन्य प्राचीन मंदिरों को भी संरक्षित किया जा रहा है। दो पुराने पुस्तकालयों को भी संवारने का काम किया जा रहा है।. इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी बनाया जा रहा है, जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे।
-वाराणसी के उद्योगों को नया पंख
काशी के विकास में वहां के बुनकरों का विकास भी शामिल था। इस व्यापार सुविधा केंद्र पर सरकार ने 147 करोड़ रुपये खर्च किए। प्रधानमंत्री मोदी ने कई अवसरों पर कहा- कृषि के बाद रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र टेक्सटाइल है और यही एक ऐसा उद्योग है, जिसमें मालिक और मजदूर के बीच कोई अंतर नहीं है।
मोदी के सामने बनारस के कपड़ा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की चुनौती थी, क्योंकि पिछली सरकारों के उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण हथकरघा में लगे मजदूर बेहद परेशान होकर यह उद्योग छोड़ रहे थे. ना तो उन्हें कच्चा माल मिल रहा था और ना उन्हें तैयार माल का दाम मिल रहा था. तब उत्तरप्रदेश में सपा की सरकार थी.प्रधानमंत्री मोदी ने जब सपा सरकार से व्यापार केंद्र के लिए जमीन मांगी तो उन्होंने जमीन शहर से बहुत बाहर दिया. फिर भी व्यापार केंद्र खुला और फिर बुनकरों के दिन लौटने शुरू हुए।
काशी के विकास में वहां के बुनकरों का विकास भी शामिल था। इस व्यापार सुविधा केंद्र पर सरकार ने 147 करोड़ रुपये खर्च किए। प्रधानमंत्री मोदी ने कई अवसरों पर कहा- कृषि के बाद रोजगार देने वाला सबसे बड़ा क्षेत्र टेक्सटाइल है और यही एक ऐसा उद्योग है, जिसमें मालिक और मजदूर के बीच कोई अंतर नहीं है।
मोदी के सामने बनारस के कपड़ा उद्योग को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाने की चुनौती थी, क्योंकि पिछली सरकारों के उपेक्षापूर्ण नीतियों के कारण हथकरघा में लगे मजदूर बेहद परेशान होकर यह उद्योग छोड़ रहे थे. ना तो उन्हें कच्चा माल मिल रहा था और ना उन्हें तैयार माल का दाम मिल रहा था. तब उत्तरप्रदेश में सपा की सरकार थी.प्रधानमंत्री मोदी ने जब सपा सरकार से व्यापार केंद्र के लिए जमीन मांगी तो उन्होंने जमीन शहर से बहुत बाहर दिया. फिर भी व्यापार केंद्र खुला और फिर बुनकरों के दिन लौटने शुरू हुए।
वाराणसी का यह हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग के रूप में फैला है, जिसमें बनारसी रेशमी साड़ी, कपड़ा उद्योग, कालीन उद्योग प्रमुख हैं. चूंकि ये सारे उद्योग मुख्य रूप से लेवर इंटेसिव होते हैं इसलिए इनपर ताला लगने का मतलब लोगों के सामने रोटी की समस्या आ जाती . 43 लाख से अधिक हथकरघा बुनकर प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े हैं. इसलिए एक साथ कई परियोजनाओं पर काम करना जरूरी था. पीएम मोदी की पहल पर वाराणसी में बुनकरों के लिए योजनाएं शुरू हुईं.
-मेक इन इंडिया प्रोग्राम से जुड़ी काशी
प्रधानमंत्री मोदी ने बुनकरों के लिए व्यापार सहयोग केंद्र ‘ दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल की आधारशिला 2014 में रखी और 2017 में इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया. 22 सितंबर 2017- प्रधानमंत्री ने इस व्यापार सुविधा केंद्र का उद्घाटन भी कर दिया। इसका नाम रखा गया ‘दीनदयाल हस्तकला संकुल। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के हथकरघा उद्योग को मेक इन इंडिया के साथ साथ स्किल इंडिया कार्यक्रम से भी जोड़ दिया और कारीगरों को तकनीक एवं कौशलता का प्रशिक्षण भी दिया जाने लगा। इसके लिए 305 करोड़ रुपए की लागत से एक टेक्सटाइल फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया। साथ ही 9 स्थानों पर बुनकरों को उत्कृष्ट उत्पादन सुविधा के लिए कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर भी बनाए गए।
प्रधानमंत्री मोदी ने बुनकरों के लिए व्यापार सहयोग केंद्र ‘ दीनदयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल की आधारशिला 2014 में रखी और 2017 में इसे राष्ट्र को समर्पित कर दिया. 22 सितंबर 2017- प्रधानमंत्री ने इस व्यापार सुविधा केंद्र का उद्घाटन भी कर दिया। इसका नाम रखा गया ‘दीनदयाल हस्तकला संकुल। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के हथकरघा उद्योग को मेक इन इंडिया के साथ साथ स्किल इंडिया कार्यक्रम से भी जोड़ दिया और कारीगरों को तकनीक एवं कौशलता का प्रशिक्षण भी दिया जाने लगा। इसके लिए 305 करोड़ रुपए की लागत से एक टेक्सटाइल फैसिलिटेशन सेंटर का निर्माण किया गया। साथ ही 9 स्थानों पर बुनकरों को उत्कृष्ट उत्पादन सुविधा के लिए कॉमन फैसिलिटेशन सेंटर भी बनाए गए।
मोदी ने वाराणसी में 6 करोड़ रुपए की लागत से नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी की शाखा भी खुलवाई. साथ ही रीजनल सिल्क टेक्नोलॉजिकल रिसर्च स्टेशन की स्थापना की गई. मोदी जी यहीं नहीं रूके उन्होंने 31 करोड़ रुपए की लागत से हस्तशिल्प उद्योग सर्वांगीण विकास योजना भी शुरू की.
बुनकरों व छोटे व्यापारियों को मुद्रा योजना से जोडा गया। अब उन्हें 50 हजार रुपये से ले करके 10 लाख रुपये तक बिना गारंटी के लोन मिल रहा है। बुनकरों के लिए तो मुद्रा योजना में 10 हजार रुपये की मार्जिन मनी का भी प्रावधान है। ‘पहचान’ नाम से एक पहचान पत्र बुनकरों को दिया गया है जिसके जरिये पैसे सीधे उनके खाते में चले जाते हैं। 12 नवंबर 2018 में पीएम मोदी ने वाराणसी में करीब तीन घंटे रुके और इस दौरान उन्होनें काशी को 2500 करोड़ से ज्यादा की लागत के एक दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं की सौगात दी।
बुनकरों व छोटे व्यापारियों को मुद्रा योजना से जोडा गया। अब उन्हें 50 हजार रुपये से ले करके 10 लाख रुपये तक बिना गारंटी के लोन मिल रहा है। बुनकरों के लिए तो मुद्रा योजना में 10 हजार रुपये की मार्जिन मनी का भी प्रावधान है। ‘पहचान’ नाम से एक पहचान पत्र बुनकरों को दिया गया है जिसके जरिये पैसे सीधे उनके खाते में चले जाते हैं। 12 नवंबर 2018 में पीएम मोदी ने वाराणसी में करीब तीन घंटे रुके और इस दौरान उन्होनें काशी को 2500 करोड़ से ज्यादा की लागत के एक दर्जन से ज्यादा परियोजनाओं की सौगात दी।
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