वाराणसी

Chaitra Navratri 2023: प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का है विधान, अलईपुर में है इनका भव्य मंदिर

Chaitra Navratri 2023: वाराणसी में जैतपुरा के अलईपुर स्थित माता के अतिप्राचीन मंदिर में भक्तों की लम्बी कतार देर रात से ही लगी हुई है।

वाराणसीMar 22, 2023 / 04:02 pm

Patrika Desk

चैत्र नवरात्र : प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का है विधान, अलईपुर में है इनका भव्य मंदिर

वाराणसी। हिन्दू नववर्ष और चैत्र नवरात्र की बुधवार से शुरुआत हो गयी। चैत्र नवरात्र के प्रथम दिन देवी मंदिरों में व्रती महिलाओं और श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा है। नवरात्रि के प्रथम दिन माता शैलपुत्री के दर्शन का विधान है। धर्म की नगरी काशी में माता का अतिप्राचीन मंदिर जैतपुरा के अलईपुर इलाके में स्थित है। नवरात्र के प्रथम दिन माता का दर्शन करने के लिए व्रती महिलाएं देर रात से ही कतार में लग गयीं थीं। सुबह मंगला आरती के बाद माता के गर्भगृह के पट खुलने के बाद से हजारों श्रद्धालु मां के दर्शन कर चुके हैं।
हिमालय की पुत्री हैं माता

मंदिर के पुजारी गजेंद्र गोस्वामी ने बताया कि माता शैलपुत्री हिमालय की बेटी हैं। इसलिए इनका नाम शल्या पड़ा। माता का वाहन वृषभ है। उन्होंने बताया कि माता के एक हाथ में त्रिशूल और एक हाथ में कमल पुष्प है जिससे वो अमृत की वर्षा करती हैं।

सौम्य रूप में हैं विराजमान

मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता शैलपुत्री यहां सौम्य रूप में विराजमान हैं। उनसे जो भी अवशय पूरी करती हैं। सुहागिन महिलाएं यहां अपने सुहाग की लम्बी आयु और जिनकी शादी नहीं हो रही है वो अपनी शादी के लिए यदि यहाँ मनोकामना करती हैं तो वह अवश्य पूरी होती है ऐसी मान्यता है।

नारियल है माता को अतिप्रिय

पुजारी गजेंद्र गोस्वामी ने बताया की माता को सफेद सामान चढ़ाएं। माता को सफेद फूल, मिठाई पसंद है। वहीं नारियल उनको अतिप्रिय है। आज के दिन सुहागिनें उन्हें सुहाग का सामान भी चढाती हैं और अपने सुहाग की लम्बी आयु की कामना करती हैं।

शिव से नाराज होकर आयीं थी काशी

पुजारी ने बताया कि बाबा भोलेनाथ से नाराज होकर मां कैलाश छोड़कर काशी आ कर और यहां विराजमान हो गई थीं। नाराज देवी को मनाने के लिए खुद भगवान शंकर भी वाराणसी आये और काशी को अपना निवास स्थान बनाया।

भक्तों की लगी है लम्बी कतार

माता शैलपुत्री के दर्शन को भक्तों की लम्बी कतार लगी हुई है। शिवाले से आयीं सुषमा सिंह ने बताया कि माता का दर्शन हर वर्ष करने आती हूं और माता ने मुझे सबकुछ दिया है। इनके द्वार पर आने वाला कभी खाली हाथ नहीं जाता है। वहीं महमूरगंज की आरती देवी ने बताया कि 30 साल से लगातार माता के दरबार में आरही हूं।

सुरक्षा के हैं कड़े इंतजाम

मंदिर परिसर और आस-पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम कमिश्नरेट पुलिस की तरफ से किये गए हैं। मंदिर और आस- पास के इलाकों में सीविल ड्रेस में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गयी है ताकि चेन स्नेचिंग और किसी भी अनहोनी से निपटा जा सके।
काशी में 9 दिन होंगे गौरी के पूजन
धर्म की नगरी काशी में चैत्र नवरात्र में 9 दिन गौरी स्वरुप के भी दर्शन पूजन भी होते हैं। प्रथम दिन गायघाट स्थित मुख निर्मालिका गौरी के मंदिर में व्रती महिलाओं की भीड़ लगी है। आज उनके दर्शन का विधान है। उनका विग्रह हनुमान मंदिर में स्थित है।

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