सौम्य रूप में हैं विराजमान मंदिर के पुजारी ने बताया कि माता शैलपुत्री यहां सौम्य रूप में विराजमान हैं। उनसे जो भी अवशय पूरी करती हैं। सुहागिन महिलाएं यहां अपने सुहाग की लम्बी आयु और जिनकी शादी नहीं हो रही है वो अपनी शादी के लिए यदि यहाँ मनोकामना करती हैं तो वह अवश्य पूरी होती है ऐसी मान्यता है।
नारियल है माता को अतिप्रिय पुजारी गजेंद्र गोस्वामी ने बताया की माता को सफेद सामान चढ़ाएं। माता को सफेद फूल, मिठाई पसंद है। वहीं नारियल उनको अतिप्रिय है। आज के दिन सुहागिनें उन्हें सुहाग का सामान भी चढाती हैं और अपने सुहाग की लम्बी आयु की कामना करती हैं।
शिव से नाराज होकर आयीं थी काशी पुजारी ने बताया कि बाबा भोलेनाथ से नाराज होकर मां कैलाश छोड़कर काशी आ कर और यहां विराजमान हो गई थीं। नाराज देवी को मनाने के लिए खुद भगवान शंकर भी वाराणसी आये और काशी को अपना निवास स्थान बनाया।
भक्तों की लगी है लम्बी कतार माता शैलपुत्री के दर्शन को भक्तों की लम्बी कतार लगी हुई है। शिवाले से आयीं सुषमा सिंह ने बताया कि माता का दर्शन हर वर्ष करने आती हूं और माता ने मुझे सबकुछ दिया है। इनके द्वार पर आने वाला कभी खाली हाथ नहीं जाता है। वहीं महमूरगंज की आरती देवी ने बताया कि 30 साल से लगातार माता के दरबार में आरही हूं।
सुरक्षा के हैं कड़े इंतजाम मंदिर परिसर और आस-पास सुरक्षा के कड़े इंतजाम कमिश्नरेट पुलिस की तरफ से किये गए हैं। मंदिर और आस- पास के इलाकों में सीविल ड्रेस में पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गयी है ताकि चेन स्नेचिंग और किसी भी अनहोनी से निपटा जा सके।
धर्म की नगरी काशी में चैत्र नवरात्र में 9 दिन गौरी स्वरुप के भी दर्शन पूजन भी होते हैं। प्रथम दिन गायघाट स्थित मुख निर्मालिका गौरी के मंदिर में व्रती महिलाओं की भीड़ लगी है। आज उनके दर्शन का विधान है। उनका विग्रह हनुमान मंदिर में स्थित है।