आईआईटी बीएचयू ने शोध में पाया की कर्मचारियों, डॉक्टर और अधिकारी समेत तमाम ऐसे लोग हैं जो खुद तो सेनेटाइजर से बचाव कर पाते हैं, लेकिन इनकी उपयोगी चीजें जैसे बेल्ट, घड़ी, पर्स, चाभी, अंगूठी इत्यादि इत्यादि सामग्री सेनेटाइज नहीं हो पाती जिससे इन्हें इस संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसके लिए बीएचयू आईआईटी के साथ मिलकर काम करने वाले गौरव ने माइक्रोवेव की तरह एक मशीन बनाई है, जिसमें अल्ट्रा वॉयलेट रेस से वायरस का खात्मा का दावा किया गया है। इसे बनाने में दो से तीन दिन लगा है।
मशीन से जुड़ी खास बातें
मशीन को बनाने वाले गौरव बताते हैं की यह अल्ट्रावायलेट किरणों से कोरोना के वायरस को मार देगी। यह मशीन सी कैटोगरी की अल्ट्रावायलेट किरणें छोड़ती हैं। कोई भी वायरस इसमें 10 से 15 मिनट तक जिंदा नहीं रह सकता। इस मशीन में एक पंखा भी लगा है जो वायरस को रोटेट करके किरणों के नजदीक लाने का काम करता है। बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. पी के मिश्रा ने बताया कि इस मशीन को बड़े पैमाने पर मार्केट में लाने के लिए पहल की जा रही है। यह कम लागत में इजाद की हुई एक बढ़िया मशीन है, जिसे डॉक्टर, पुलिस विभाग, सफाई विभाग अपने कर्मचारियों को इस संक्रमण के खतरे से बचाने में मददगार साबित होंगे। निश्चित ही यह मशीन कारगर है।
मशीन को बनाने वाले गौरव बताते हैं की यह अल्ट्रावायलेट किरणों से कोरोना के वायरस को मार देगी। यह मशीन सी कैटोगरी की अल्ट्रावायलेट किरणें छोड़ती हैं। कोई भी वायरस इसमें 10 से 15 मिनट तक जिंदा नहीं रह सकता। इस मशीन में एक पंखा भी लगा है जो वायरस को रोटेट करके किरणों के नजदीक लाने का काम करता है। बीएचयू आईआईटी के प्रोफेसर डॉ. पी के मिश्रा ने बताया कि इस मशीन को बड़े पैमाने पर मार्केट में लाने के लिए पहल की जा रही है। यह कम लागत में इजाद की हुई एक बढ़िया मशीन है, जिसे डॉक्टर, पुलिस विभाग, सफाई विभाग अपने कर्मचारियों को इस संक्रमण के खतरे से बचाने में मददगार साबित होंगे। निश्चित ही यह मशीन कारगर है।