विश्वविद्यालय की छात्राओं ने महिला महाविद्यालय के गेट से आक्रोश मार्च निकाला जिसमें करीब 60 से उपर छात्र- छात्राओं ने हिस्सा लिया। सबने एक स्वर में रेप संस्कृति के खिलाफ गुस्सा निकाला और इसको जड़ से खत्म करने का प्रण लिया। सबने कहा कि हमारी पढ़ाई का कोई मतलब नहीं है, जब तक देश में एक भी महिला या लड़की असुरक्षित है। सबने मिलकर कहा कि किसी भी सरकार ने इसको जड़ खत्म करने कभी प्रयास नहीं किया है। इस सामाजिक बुराई को मिटाने के लिए हम सभी को आगे आना होगा तब ही हम एक बेहतर सुरक्षित समाज बना पाएंगे।
महिला विरोधी गालियां जो मां- बहन या किसी भी स्त्री के नाम दिया जाता है, सबने मिलकर महिला विरोधी गालियों को खत्म करने की बात कही। यह मार्च कैंपस में लौटकर एक सभा में तब्दील हो गया। इसमें आयुषी, उर्वशी, अंशुल, राधिका, मुदिता आदि ने अपनी बात रखी और क्रांतिकारी गीत गाएं। आकांक्षा ने मार्च व सभा का संचालन किया। सभी ने हैदराबाद और रांची के साथ पूरे देश भर में हो रहे महिला हिंसा की निंदा की। साथ ही हैदराबाद की डॉक्टर बिटिया को श्रद्धांजलि अर्पित की।
महिला मुक्ति -सबकी मुक्ति सबकी मुक्ति जिंदाबाद, उन्नाव रांची हैदराबाद नहीं सहेगा हिंदुस्तान, रेप कल्चर मुर्दाबाद आदि नारे लगाएं गए। BHU U expressed anger over Hyderabad gangrape case” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/12/01/bhu_-gang_rape-protest-_5445480-m.jpeg”>एनएसयूआई की प्रतिरोध सभा उधर भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एऩएसयूआई), बीएचयू इकाई ने हैदराबाद में घटित जघन्य सामुहिक बलात्कार और हत्या कांड के विरोध में लंका स्थित सिंहद्वार पर विरोध स्वरूप मोमबत्ती जला कर मौन विरोध दर्ज कराते हुए मृतक बेटी को श्रद्धांजली अर्पित की।
श्रद्धांजलि सभा में प्रमुख रूप से मुहम्मद आमिद, आकाश सिंह, रौशन, निर्भय सिंह, शानु, युवराज पांडेय, निखिल उपाध्याय, अभिनव, देवेश, शुभम, अनिकदेव, अदित्य, अजय, गौरव आदी शामिल थे। बीएचयू ज्वाइंट एक्शन कमेटी मोमबत्ती जलाकर व्यक्त की संवेदना
हैदराबाद की बेटी के लिए ज्वाइंट एक्शन कमेटी के सदस्यों से अस्सी घाट पर रविवार की शाम मोमबत्ती जलाकर व्यक्त की संवेदना। इस मौके पर ही श्रद्धांजलि सभा में महिला हिंसा के विरोध में नारे भी लगे।
युवाओं ने कहा कि देश भर में हो रही लैंगिक हिंसा के विरुद्ध Joint Action Committee द्वारा आज दिनांक 1 दिसंबर 2019 शाम छः बजे अस्सी घाट पर प्रतिरोध सभा आयोजित की गयी तथा बलात्कार पीड़िता के हत्या पर मोमबत्ती जलाकर संवेदना व्यक्त किया गया।
सभा स्थल पर वक्ताओं द्वारा कहा गया कि आख़िर देश कब तक ऐसी बलात्कार की संस्कृति में रहेगा? महिलाओं के प्रति जिस प्रकार से लैंगिक हिंसा हो रही है यह बहुत दुखद और शर्मनाक है।
आख़िर महिला सुरक्षा देश का मुख्य राजनीतिक मुद्दा क्यों नहीं बन पा रहा है? कोई सरकार क्यों यह विश्वास नहीं दिला पा रही है की सब सुरक्षित हैं? सरकार न तो अभी महिला आरक्षण बिल ला पायी हैं और न ही लैंगिक हिंसा व भेदभाव के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़ानून। सिस्टम पर सवाल करना होगा। सवाल करना होगा की हमारे यहाँ न्यायालय से फैसला आने में लेट क्यों होता है? सरकार और अधिक अदालतों का निर्माण कराए और अधिक से अधिक जजों की नियुक्ति करे। सवाल करना है कि सरकार शिक्षा को बढ़ावा दे। शिक्षा में सेक्स एजुकेशन की भी शिक्षा हो । स्कूलों में जो जनन का अध्याय आते ही अध्यापक लड़के- लड़कियों को अलग अलग कर देते हैं, उस पर बात करना होगा। समाज जो लड़के-लड़कियों को अलग समझता है और अलग तरीके से बर्ताव करता है उस पर बात करिए। जब तक समाज संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित रहेगा तो हर बार इस तरह की घटना पर भीड़ को सही ठहराया जाएगा जो हमारे देश के भविष्य के लिए खतरनाक है। ये देश वर्तमान में बहुत ही नफरत भरे दौर से गुजर रहा है। आज पूरे देश में नफरत फैल गई है। आज धर्म, जाति, सेक्स के आधार पर भेदभाव भयंकर रूप से बढ़ रहा है। हम लोग नागरिक बनने की प्रक्रिया में पीछे की तरफ बहुत तेजी से जा रहे हैं जो किसी भी लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। पागल भीड़ के दौर में जब हम सब बहुत आगे बढ़ गए होंगे जहाँ से वापस आना मुश्किल होगा। अत: अति से बचना और विरोध करना होगा।
आख़िर महिला सुरक्षा देश का मुख्य राजनीतिक मुद्दा क्यों नहीं बन पा रहा है? कोई सरकार क्यों यह विश्वास नहीं दिला पा रही है की सब सुरक्षित हैं? सरकार न तो अभी महिला आरक्षण बिल ला पायी हैं और न ही लैंगिक हिंसा व भेदभाव के ख़िलाफ़ कोई ठोस क़ानून। सिस्टम पर सवाल करना होगा। सवाल करना होगा की हमारे यहाँ न्यायालय से फैसला आने में लेट क्यों होता है? सरकार और अधिक अदालतों का निर्माण कराए और अधिक से अधिक जजों की नियुक्ति करे। सवाल करना है कि सरकार शिक्षा को बढ़ावा दे। शिक्षा में सेक्स एजुकेशन की भी शिक्षा हो । स्कूलों में जो जनन का अध्याय आते ही अध्यापक लड़के- लड़कियों को अलग अलग कर देते हैं, उस पर बात करना होगा। समाज जो लड़के-लड़कियों को अलग समझता है और अलग तरीके से बर्ताव करता है उस पर बात करिए। जब तक समाज संकीर्ण मानसिकता से ग्रसित रहेगा तो हर बार इस तरह की घटना पर भीड़ को सही ठहराया जाएगा जो हमारे देश के भविष्य के लिए खतरनाक है। ये देश वर्तमान में बहुत ही नफरत भरे दौर से गुजर रहा है। आज पूरे देश में नफरत फैल गई है। आज धर्म, जाति, सेक्स के आधार पर भेदभाव भयंकर रूप से बढ़ रहा है। हम लोग नागरिक बनने की प्रक्रिया में पीछे की तरफ बहुत तेजी से जा रहे हैं जो किसी भी लोकतंत्र के लिए बहुत ही खतरनाक होता है। पागल भीड़ के दौर में जब हम सब बहुत आगे बढ़ गए होंगे जहाँ से वापस आना मुश्किल होगा। अत: अति से बचना और विरोध करना होगा।
सभा मे जागृति राही, रश्मि झा, सानिया अनवर, रंजना, डॉ अनूप श्रमिक, दिवाकर, विवेक, राज अभिषेक, नीरज, प्रियेश, रजत, शाश्वत, आकाश सिंह, अभिनव गौतम, प्रियांक, रितेश, मुरारी, अनंत, सौरभ , धनञ्जय आदि मौजूद रहे।