बता दें कि गत 29 दिसंबर को डीएम कौशल राज शर्मा ने उच्च न्यायालय का हवाला देते हुए जिले में जहां-तहां धरना-प्रदर्शऩ पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। उन्होंने कहा था कि कोर्ट के निर्देश पर ही बनारस में वरुणा तट यानी शास्त्री घाट को धरना-प्रदर्शन के लिए निर्धारित किया जा चुका है। ऐसे में कोई भी संगठन अब शास्त्री घाट पर ही विरोध प्रदर्शन कर सकेगा। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को भी पत्र जारी कर धरना-प्रदर्शन के लिए स्थान तय करने को कहा था।
डीएम के पत्र पर गौर फरमाते हुए बीएचयू प्रशासन ने जहां-तहां विरोध प्रदर्शऩ पर रोक लगा दी है। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसके लिए एक स्थान तय किया है और कहा है कि अब केवल मधुबन में ही धरना प्रदर्शन हो सकेगा। इसके अलावा जहां-तहां धरना-प्रदर्शन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि हॉस्टल में बिजली, पानी, मेस की समस्या हो या फिर प्रवेश, परीक्षा या फिर कोई अन्य समस्या अब तक छात्र-छात्रा कभी सेंट्रल आफिस, कुलपति आवास के सामने तो कभी हॉस्टल के सामने धरना देते थे। इसके अलावा मांगें पूरी न होने पर बीएचयू सिंह द्वार बंद कर यहां भी छात्र धरना देते हैं। छात्राओं के साथ छेड़-छाड़ के विरोध में ढाई साल पहले बड़ी तादाद में छात्राओं ने बीएचयू सिंह द्वार पर धरना दिया था। इसके अलवा शहर भर के तमाम संगठनों ने भी बीएचयू सिंह द्वार को धरना स्थल के रूप में तब्दील कर दिया था। इससे विश्वविद्यालय परिसर में आने वाले तमाम लोगों को परेशानी उठानी पड़ती रही है। खास तौर पर सर सुंदरलाल चिकित्सालय आने वाले मरीजों और तीमारदारों को। ऐसे में अब जिला प्रशासन ने जहां शास्त्री घाट को विरोध प्रदर्शऩ का स्थल घोषित किया है तो बीएचयू ने मधुबन को।
“किसी भी मुद्दे पर किसी को अपनी राय रखनी है। किसी विषय पर विरोध जताना है तो उसके लिए जहां-तहां बैठना उचित नहीं है। इससे बीएचयू परिसर का शैक्षणिक माहौल बर्बाद होता है। ऐसे में कुलपति प्रो राकेश भटनागर ने एक चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी जिसकी संस्तुति पर मधुबन को विरोध प्रदर्शऩ का मुकम्मल स्थान तय किया गया है। अब वहीं धरना-प्रदर्शन किया जा सकेगा।” डॉ राजेश सिंह, पीआरओ, बीएचयू